सहजन की खेती

सहजन पूरे भारत में सुगमता से पाया जाने वाला पेड़ है। सहजन के पत्ते फूल, फलियां व बीज, छाल सभी का किसी न किसी रूप में प्रयोग होता है। सहजन के पत्ते एवं फलियां शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ शरीर में उपस्थित एवं विषैले तत्वों को निकालने का काम करते हैं।सहजन की खेती के लिए शुष्क व गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधों की बढ़वार के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है, लेकिन यह पौधा 10 डिग्री सेल्सियस तापमान से लेकर 50 डिग्री सेल्सियस तापमान तक भी आसानी से फल-फूल सकता है।


सहजन

सहजन उगाने वाले क्षेत्र

भारत वर्ष में सहजन की खेती आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार में की जाती है।

सहजन की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

सहजन में पोषक तत्वों जैसे - प्रोटीन, आयरन, बीटा केरोटिन, एमिनो एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन ए और बी काम्प्लेक्स अधिकता होने के कारण इसे कुपोषण को रोकने एवं इसके इलाज में प्रयोग किया जाता है।सहजन अत्यंत गुणकारी और पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण सुपर फूड के नाम से भी जाना जाता है।

बुवाई और कटाई का समय

सहजन को बोने का सही समय है जून-जुलाई का महीना व कटाई के लिए जून-जुलाई, अप्रैल-मई के महीने को उपयुक्त माना जाता है।

बोने की विधि

सहजन का रोपण बीज व कलम दोनों विधि द्वारा किया जा सकता है। बीज की सीधी बिजाई व पौध तैयार कर रोपण किया जा सकता है।तैयार खेत में कतार से कतार की दूरी 1.5 से 2 मीटर की दूरी पर 45x45x45 सेमी आकार के गड्ढे तैयार कर लेना चाहिए। उसके बाद पौध की रोपाई कर दी जाती है।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

यह विभिन्न प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। सहजन बलुई, चिकनी मिट्टी,अम्लीय मिट्टी, काली मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है।पहली जुताई मिट्टी पलट हल से गहरी करके 2-3 जुताई हैरो या कल्टीवेटर से करने के बाद पाटा लगा देना चाहिए।

बीज की किस्में

सहजन के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

कोयम्बटूर -2, पी.के.एम.-1, पी.के.एम.-2, ओडिसी, सी.ओ -1

बीज की जानकारी

सहजन की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

एक एकड़ क्षेत्र में 1200-1500 पौधे की आवश्यकता होती है।

बीज कहाँ से लिया जाये?

सहजन के पौध व बीज किसी विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदें।

उर्वरक की जानकारी

सहजन की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

सहजन के पौधे को खाद एवं उर्वरक की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। व्यवसायिक दृष्टिकोण से खेती करने पर 5-6 टनगोबर की सड़ी खाद प्रति एकड़ खेत तैयार करते समय भूमि में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए।इसके पश्चात 100 ग्राम नत्रजन, 100 ग्रामफास्फोरस व 50 ग्राम पोटाश प्रति पौधे की दर से प्रयोग करे।

जलवायु और सिंचाई

सहजन की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

पौधे की प्रारंभिक अवस्था में सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है। उसके उपरांत आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए।

रोग एवं उपचार

सहजन की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

सहजन अधिकांश कीटों से लड़ने की क्षमता रखता है| जहां ज्यादा पानी जमा होने की स्थिति है, वहां डिप्लोडिया रुट रॉट पैदा हो सकता है| भीगी हुई स्थिति में पौधारोपन मिट्टी के ढेर पर किया जाना चाहिए ताकि ज्यादा पानी अपने-आप बह कर निकल जाए| पशु, भेड़, सुअर और बकरियां मोरिंगा के पौधे, फल और पत्तियों को खा जाती हैं| मोरिंगा के पौधे को पशुओं से बचाने के लिए बाड़ा या पौधे के चारों ओर लिविंग फेन्स लगाया जा सकता है|

खरपतवार नियंत्रण

शुरुआती अवस्था में खरपतवार का अधिक प्रकोप होता है, अतः खरपतवा की रोकथाम के लिए समय-समय पर खुरपी या कुदाल के माध्यम से निकाई-गुड़ाई करते रहना चाहिए।

सहायक मशीनें

कुदाल, खुरपी आदि यंत्रों की आवश्यकता होती है।

सहजन का फसल चक्र

सहजन की फसल में कितना समय लगता है?

जून-जुलाई, अप्रैल-मई