ब्रोकली की खेती

भारत में, ब्रोकली ग्रामीण आर्थिकता में उछाल लाने वाली फसल है। यह ठंडे मौसम वाली फसल है और इसे बसंत ऋतु में उगाया जाता है। यह आयरन, कैल्शियम और विटामिन आदि पोषक तत्वों एक अच्छा स्त्रोत है। इस फसल में 3.3 प्रतिशत प्रोटीन और विटामिन ए और सी की उच्च मात्रा शामिल होती है। इसमें रिवोफलाईन, नियासीन और थियामाइन की बहुत मात्रा शामिल होती है और कैरोटिनोइड्ज भी उच्च मात्रा में शामिल होते हैं। इसे मुख्य तौर पर सलाद के तौर पर प्रयोग किया जाता है और इसे हल्का पकाकर भी खाया जा सकता है। इसे मुख्य तौर पर ताज़ा खाने के लिए, ठंडा करके या सलाद के रूप में होने वाले उपयोग के लिए बेचा जाता है।


ब्रोकली

ब्रोकली उगाने वाले क्षेत्र

ब्रोकली का रंग हरा होता है इसलिए इसे हरी गोभी भी कहते है उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में इन सब्जियों की खेती की जा सकती है जबकि हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल और जम्मू-कश्मीर में इनके बीज भी बनाए जाते हैं इनके बीज की निर्यात की काफी सम्भावनाएं हैं.

ब्रोकली की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

ब्रोकोली फाइबर, विटामिन सी, विटामिन के, आयरन और पोटेशियम सहित कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें अधिकांश अन्य सब्जियों की तुलना में अधिक प्रोटीन होता है। शर्करा फ्रुक्टोज, ग्लूकोज और सुक्रोज हैं, जिनमें थोड़ी मात्रा में लैक्टोज और माल्टोज होते हैं। यह आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है, विभिन्न बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है और वजन घटाने में सहायता कर सकता है

बोने की विधि

नर्सरी में जब पौधे 10 से 12 सेंटीमीटर या 4 से 5 सप्ताह के हो जाएं तो उनकी खेत में रोपाई कर देनी चाहिए। ब्रोकली की रोपाई पंक्तियों में की जाती है। किस्मों के अनुसार पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर और पंक्ति में पौधे से पौधे के बीच का अंतर 40 सेंटीमीटर रखते हैं। पौध 2 से 3 सेंटीमीटर से अधिक गहरी नहीं लगानी चाहिए। पौध की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करे। पौध की रोपाई दोपहर बाद या शाम के समय ही करें।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

ब्रोकली की खेती के लिए दोमट व बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है। भूमि का पी एच मान 5 से 6.8 के बीच होना चाहिए। ब्रोकली की फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या हैरो से करना चाहिए। इसके बाद 2 से 3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करनी चाहिए।

बीज की किस्में

ब्रोकली के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

के टी एस - 1 (पूसा ब्रोकली) - इस किस्म का सिरा हल्के हरे रंग का, फल गुंथा हुआ तथा 250 से 400 ग्राम वजन का होता है। यह किस्म रोपाई के उपरान्त 80 से 90 दिन में तैयार हो जाती है और इसकी औसत पैदावार 120 से 140 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। के टी एस 59 - इस किस्म का सिरा गुंथा हुआ, फल हरे रंग का होता है और इसकी औसत पैदावर 90 से 100 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। पालम समृद्धि - इस किस्म का सिरा हरा, गुंथा हुआ, पीले धब्बों और पत्तियों से युक्त होता है| फूल का वजन 300 से 400 ग्राम होता है| यह किस्म 85 से 95 दिन में तैयार हो जाती है और पैदावार 150 से 180 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक मिल जाती है। ग्रीन स्प्राउटिंग ब्रोकली - इस किस्म का सिरा गहरे हरे रंग का गुंथा हुआ होता है जिसका वजन 200 से 250 ग्राम होता है| इसके पौधे शाखायुक्त होते हैं, यह किस्म रोपाई के उपरान्त 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार 120 से 150 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। पंजाब ब्रोकली - इसके पौधे शाखायुक्त, चिकनी पत्तियां और अत्यधिक फुटाव वाले होते हैं। सिरा मध्यम आकार, हल्की गुथी हुई हरी कलियां युक्त और फल 150 से 200 ग्राम वजन के होते हैं। यह किस्म रोपाई के 60 से 70 दिन उपरान्त तैयार हो जाती है और इसकी औसत पैदावार 60 से 75 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।

बीज की जानकारी

ब्रोकली की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

250 ग्राम प्रति एकड़ बीज का प्रयोग करना चाहिए।

बीज कहाँ से लिया जाये?

ब्रोकोली के बीज किसी विस्वसनीय स्थान से ही खरीदना चाहिए।

उर्वरक की जानकारी

ब्रोकली की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

उर्वरको का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना उपयुक्त रहता है | अच्छी उपज के लिए प्रति हैक्टेयर 15 – 20 टन गोबर / क्म्पोष्ट खद, 100 किलोग्राम नत्रजन, 100 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग किया जाना अनुकूल होता है | 

जलवायु और सिंचाई

ब्रोकली की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

ब्रोकली में रोपण के तुरंत बाद , पहली सिंचाई करें। मिट्टी जलवायु या मौसम की स्थिति अनुसार गर्मियों में 7—8 दिनों और सर्दियों में 10—15 दिनो के फासले से सिंचाई करें।

रोग एवं उपचार

ब्रोकली की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

थ्रिप्स - ये छोटे कीट होते हैं जो कि हल्के पीले व हल्के भूरे रंग के होते हैं और इनके प्रकोप से पत्ते नष्ट होकर चांदी के रंग के हो जाते हैं।रोकथाम - यदि चेपे और तेले का नुकसान अधिक हो तो 100 एम एल इमीडाक्लोप्रिड 17.8 SL को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ स्प्रे कर देना चाहिए। निमाटोड - पौधे के विकास में कमी और पौधे का पीला पड़ना आदि इसके लक्षण हैं। रोकथाम - इसका हमला दिखने पर 5 किलो फोरेट या कार्बोफ्यूरॉन 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से भुरकाव कर देना चाहिए। चमकीली पीठ वाला पतंगा - इसका लार्वा पत्तों की ऊपरी और निचली सतह को नष्ट करता है और परिणाम स्वरूप यह पूरे पौधे को नुकसान पहुंचाता है। रोकथाम - यदि हमला बढ़ जाये तो 80 ML स्पिनोसैड 25%SC को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए। सफेद फंगस - यह बीमारी स्लैरोटीनिया स्लैरोटियोरम के कारण होती है। इसके हमले से पत्तों और तनों पर अनियमित और स्लेटी रंग के धब्बे देखे जा सकते हैं। रोकथाम - यदि खेत में यह बीमारी दिखे तो मैटालैक्सिल + मैनकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से स्प्रे करना चाहिए और 10 दिनों के अंतराल पर कुल 3 स्प्रे कर देना चाहिए। उखेड़ा रोग - यह बीमारी राइज़ोकटोनिया सोलानी के कारण होती है। इसके हमले से नए पौधे अंकुरण के तुरंत बाद नष्ट हो जाते हैं और तने पर भूरे लाल या काले रंग का गलन दिखाई देता है। रोकथाम - पौधों की जड़ों में रिडोमिल गोल्ड 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में प्रयोग करना चाहिए और आवश्यकतानुसार सिंचाई करना चाहिए। पानी जमा नहीं होने दिया जाना चाहिए। पत्तों पर धब्बे - इसके हमले से पत्तों की निचली सतह पर संतरी या पीले रंग के छोटे धब्बे दिखाई देते हैं। रोकथाम - यदि यह बीमारी बढ़ जाये तो मैटालैक्सिल 8% + मैनकोजेब 64% WP250 ग्राम 150 लीटर पानी में स्प्रे करना चाहिए। पत्तों पर गोल धब्बे - इससे पत्तों पर छोटे और जामुनी रंग के धब्बे बन जाते हैं जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं। रोकथाम - यदि यह बीमारी बढ़ जाये तो मैटालैक्सिल 8% + मैनकोजेब 64% WP250 ग्राम 150 लीटर पानी में स्प्रे कर देना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

मिट्टी मौसम तथा पौधों की बढ़वार को ध्यान में रखकर,इस फ़सल में लगभग 10-15 दिन के अन्तर पर हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है|

सहायक मशीनें

मिट्टी पलट हल, देशी हल, कुदाल, खुरपी, फावड़ा, आदि यंत्रों की आवश्यकता होती है।

ब्रोकली का फसल चक्र

ब्रोकली की फसल में कितना समय लगता है?

<p>अगस्त - सितंबर</p>