खीरा की खेती

सम्पूर्ण विश्व में सलाद के रूप में खीरा एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। सलाद के अतिरिक्त इसे उपवास के समय फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ भी तैयार की जाती है। पेट की गड़बडी तथा कब्ज में भी खीरा एक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। खीरा कब्ज़ दूर करता है। खीरे का रस पथरी में लाभदायक है। खीरे की खेती, जायद तथा वर्षा ऋतु में की जाती है। उच्च तापक्रम में अच्छी वृद्धि होती है। यह पाले को नहीं सहन कर पाता, इसलिए इसको पाले से बचाकर रखना चाहिए।


खीरा

खीरा उगाने वाले क्षेत्र

खीरे की खेती भारत के सभी राज्यों में की जाती है।

खीरा की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

खीरे में पोटेशियम, सोडियम, कैल्शियम, खनिज पदार्थ, कैलोरीज, फॉस्फोरस, विटामिन सी तथा कार्बोहाइड्रेट्स, आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं।

बोने की विधि

खीरे की पौधे फैलने वाले होते हैं, इसलिए अच्छी फसल के लिए बोते वक्त इनके बीजो की आपसी दूरी कम से कम 50-100 सेमी एवं पंक्ति-से-पंक्ति की दूरी कम से कम 150 सेमी होनी चाहिए। खीरे के बीज को 1 सेमी की गहराई में बोना चाहिए।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

अच्छी उपज हेतु जीवांश पदार्थयुक्त दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। पहली जुताई मिट्टी पलट हल से करके 2-3 जुताई हैरों या कल्टीवेटर से करना चाहिए।

बीज की किस्में

खीरा के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

जापानीज़ लौंगग्रीन, , खीरापूना, फैजाबादी तथा कल्याणपुर मध्यम और बालम खीरााइत्यादि।

बीज की जानकारी

खीरा की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

एक हेक्टेयर क्षेत्र की बुवाई हेतु 2 से 2.5 किग्रा. बीज की आवश्यकता होती है।

बीज कहाँ से लिया जाये?

खीरे का बीज किसी विश्वसनीय स्थान से ही खरीदें।

उर्वरक की जानकारी

खीरा की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

अच्छी उपज प्राप्त करने हेतु, खेत तैयार करते समय बुवाई के एक माह पूर्व प्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर की सड़ी खाद मिला देना चाहिए। रसायनिक खादों की अलग मात्रा - अच्छे उत्पादन के लिये 55-60 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फॉस्फोरस तथा 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा एवं फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले तैयारी के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए। नाइट्रोजन की शेष मात्रा बुवाई के 30-45 दिन में पौधों को देना चाहिए।

जलवायु और सिंचाई

खीरा की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

ग्रीष्म ऋतु में 8-10 दिन के पश्चात हल्की सिंचाई करना चाहिए। वर्षा ऋतु में सिंचाई वर्षा पर निर्भर करती है।

रोग एवं उपचार

खीरा की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

01. एन्थ्रेकनोज - इस रोग में पत्तियों एवं फलों पर लाल धब्बे हो जाते है। इस रोग की रोकथाम हेतु बीज को बुवाई से पहले एग्रोसेन जी.एन. से उपचारित करना चाहिए। 02. फ्यूजेरियम रूट रॉट - इस रोग के प्रकोप से तने का आधार काला हो जाता है, बाद में पौधा सूख जाता है। बीज पर गर्म पानी का उपचार करके मरक्यूरिक क्लोराइड के 0.1% घोल में डुबा लेना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

खीरे की लताएं खेत में फैलने से पहले ही निराई-गुड़ाई करके खेत को खरपतवार से निजात दिला देना चाहिए।

सहायक मशीनें

खीरे की फसल के लिए मिट्टी पलट हल, देशी हल, या हैरों, खुर्पी, फावड़ा, आदि यंत्रो की आवश्यकता होती है।