एलोवेरा की खेती

एलोवेरा का वैज्ञानिक नाम एलोवेरा बरबंदिश है और यह एक औषधीय पौधा है। इसे ग्वारपाठा और घृतकुमारी के नाम से भी जाना जाता है।एलोवेरा का इस्तेमाल हैल्थकेयर, हर्बल और कॉस्मेटिक कंपनियों में होता है। इसके अंदर के जेल या गूदे का उपयोग होता है जिसे कटाई के बाद निकाला जाता है। एलोवेरा लगभग डेढ़ से दो साल में काटने योग्य होता है। एलोवेरा की खेती के लिए शीतोष्ण एवं समशीतोष्ण जलवायु अच्छी रहती है। यह कम पानी वाली जगह में उगाया जाता जाता है।


एलोवेरा

एलोवेरा उगाने वाले क्षेत्र

राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और केरल इस फसल के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

एलोवेरा की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

एलोवेरा की पत्तियों में लगभग 90 से 94% पानी, शेष भाग में कार्बोहाइड्रेट, अमीनो एसिड, विटामिन एंजाइम, खनिज लवण एवं शर्करा आदि पाया जाता है। एलोवेरा के उपयोग से पाचन शक्ति का विकास, हृदय का स्वस्थ रहना, प्लीहा एवं उदय संबंधी विकारों में लाभ मिलता है।

बोने की विधि

उपजाऊ भूमि में एलोवेरा की रोपाई करने हेतु पँक्ति से पँक्ति तथा पौध से पौध की दूरी 50 सेमी रखनी चाहिए। अनुपजाऊ भूमि में पँक्ति से पँक्ति तथा पौध से पौध की दूरी 30-40 सेमी रखनी चाहिए।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

एलोवेरा की खेती के लिए दोमट तथा रेतीली मिट्टी उत्तम मानी जाती है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले  हल से करने के पश्चात 3-4 जुताई देशी हल या हैरो या कल्टीवेटर से करके पाटा लगा देना चाहिए।

बीज की किस्में

एलोवेरा के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

 एलोवेरा की प्रसिद्ध किस्में IC111271, IC111269, IC111280, IC111273, IC111279, IC111267, IC1112666, IC111280 आदि है।

बीज की जानकारी

एलोवेरा की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

एक हैक्टेयर क्षेत्र की बुवाई के लिए 40,000-50,000 एलोवेरा के पौधों की आवश्यकता होती है।

बीज कहाँ से लिया जाये?

एलोवेरा की पौध (गाँठ) किसी विश्वसनीय स्थान से ही खरीदना चाहिए।

उर्वरक की जानकारी

एलोवेरा की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

 एलोवेरा की फसल में खाद एवं उर्वरक की मात्रा का चयन सदैव मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। यदि किसी कारणवश मृदा परीक्षण न हो पाये, तो सामान्यतः 10 टन गोबर या कम्पोस्ट खाद बुवाई के पूर्व भूमि में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। उर्वरकों में 50 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फॉस्फोरस तथा 25 किलो पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फॉस्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करनी चाहिए तथा शेष नाइट्रोजन का दो बार प्रयोग  करना चाहिए।

जलवायु और सिंचाई

एलोवेरा की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

एलोवेरा की सिंचाई के लिए बौछारी या टपक विधि का प्रयोग किया जा सकता है। एलोवेरा की फसल को बहुत अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। गर्मियों में 20-25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

रोग एवं उपचार

एलोवेरा की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

इस वनस्पति पर किसी खास रोग या किट का प्रभाव अबतक सामने नहीं आया है।

खरपतवार नियंत्रण

एलोवेरा की फसल में शुरुआती अवस्था में खरपतवारों का अधिक प्रकोप होता है। अतः अच्छी उपज प्राप्त करने हेतु 2 - 3 निडाई गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट कर देना चाहिये। रसायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण के लिए  रोपाई के एक माह पूर्व 0.5 किग्रा एट्राजिन का सक्रीय घटक प्रति हैक्टेयर डालना चाहिए।

सहायक मशीनें

मिट्टी पलटने वाले  हल, देशी हल, हैरों या कल्टीवेटर, खुर्पी, फावड़ा, आदि प्रमुख यंत्रो की आवश्यकता होती है।