टमाटर की खेती

परिचय➽➣टमाटर भारत की महत्तवपूर्ण व्यावसायिक  फसल है।यह  दुनिया भर में आलू के बाद दूसरे नंबर की सब से महत्तवपूर्ण फसल है।➣यह  विटामिन ए, सी, पोटाश्यिम और अन्य खनिजों से  भरपूर है। इसका प्रयोग जूस,सूप,सब्ज़ी की ग्रेवी,सलाद,चटनी, पाउडर और कैचअप बनाने के लिए भी किया जाता है। जलवायु➽➣टमाटर की फसल को उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 1500 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जाता है। ➣टमाटर की फसल के लिए 60-150 सेमी की वार्षिक वर्षा इसकी वृद्धि के लिए ज़रूरी होती है। खेती का समय➽➣टमाटर की  फसल वर्षा ऋतु के लिये जून-जलाई तथा शीत ऋतु के लिये जनवरी-फरवरी में रोपाई की जाती है ।➣फसल पाले रहित क्षेत्रो में उगायी जानी चाहिए या इसकी पाले से समुचित रक्षा करनी चाहिए।


टमाटर

टमाटर उगाने वाले क्षेत्र

प्रमुख क्षेत्र➽➣भारत में टमाटर के फसल की पैदावार मुख्यतः  बिहार,  कर्नाटक,  उत्तर प्रदेश,  उड़ीसा,  महांराष्ट्र, आंध्र प्रदेश,  मध्य प्रदेश और पश्चिमी बंगाल में की जाती है।

टमाटर की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

पोषण मूल्य➽➣टमाटर के उत्पाद फोलेट, विटामिन सी और पोटेशियम के समृद्ध स्रोत हैं।➣फाइटोन्यूट्रिएंट्स के सापेक्ष, टमाटर में सबसे प्रचुर मात्रा में कैरोटेनॉयड्स होते हैं।➣लाइकोपीन सबसे प्रमुख कैरोटीनॉयड है, इसके बाद बीटा-कैरोटीन, गामा-कैरोटीन और फाइटोइन के साथ-साथ कई छोटे कैरोटीनॉयड भी हैं।

बोने की विधि

नर्सरी की तैयारी➽पौध रोपाई से एक महीना पहले मिट्टी को धूप में खुला छोड़ दें। 1 एकड़ क्षेत्र के लिए 3 मीटर लंबाई और 1 मीटर चौड़ाई तथा 15 सेमी ऊंचाई की छः क्यारियाँ तैयार करें। बीज 2-3 सेंटीमीटर गहरे और 10 सेंटीमीटर की दूरी पर कतार में बोएं और मिट्टी से ढक दें। क्यारियों को अंकुरण तक प्रतिदिन दो बार और अंकुरण के बाद एक बार पानी दें। बुवाई के बाद बैडों को प्लास्टिक शीट से ढक दें और फूलों को पानी देने वाले डब्बे से रोज़ सुबह बैडों की सिंचाई करें। बीमारियों के हमले से फसल को बचाने के लिए नर्सरी वाले बैडों को अच्छे नाइलोन के जाल से ढक दें। प्रत्यारोपण से 4-5 दिन पहले क्यारियों में पानी की मात्रा कम करें ताकि पौधे सख्त हों और प्रत्यारोपण से एक दिन पहले हल्की सिंचाई करेंप्रो ट्रे में नर्सरी तैयार करें➽कोकोपीट - 1.2 किलो प्रति प्रोट्रे के साथ भरें। प्रोट्रे में उपचारित बीज एक खाने में 1 बीज के दर से बोएं। बीज को कोकोपीट से ढक दें और अंकुरण शुरू होने तक (5 दिन) प्रोट्रे को एक के ऊपर एक रखें और पॉलीथीन शीट से ढंक दें । 6 दिनों के बाद, अंकुरित बीज वाले हर एक प्रोट्रे को शेड नेट के अंदर उभरी हुई ऊँची क्यारियों में रखें। पौधशाला में 25-30 दिन बाद पौधे तैयार हो जाते हैं और इनके 3-4 पत्ते निकल आते हैं। यदि पौधों की आयु 30 दिन से ज्यादा हो तो इसके उपचार के बाद इसे खेत में लगायें। पौध उखाड़ने के 24 घंटे पहले बैडों को पानी लगायें ताकि पौधे आसानी से उखाड़े जा सकें। रोपाई से पहले जडो को उपचारित करें :- 40 ग्राम मैंकोजेब 75 % डब्लू पी  + 40 मिली इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस ल  20 लीटर पानी में मिलाएँ। रोपाई से पहले जड़ों को घोल में डुबोएं। प्रोट्रे में पौधों के लिए 5 मिनट के लिए कंटेनर में प्रोट्रे डुबोएं।रोपाई की विधि➽➣टमाटर के बीजों को नर्सरी की क्यारियों में बोया जाता है ताकि रोपाई के लिए पौधे को  खेत में स्थानितरित किया जा सके। ➣नर्सरी में बीजों को 4 सेमी. गहराई में बोयें और मिट्टी से ढक दें।➣पौधे की रोपाई के लिए 20 से 25 दिन पुराने पौधे का प्रयोग किया जाता है। उन्हें मुख्य क्षेत्र में प्रत्यारोपित किया जाता है!➣रोपाई के लिए 3 x 0.6  मीटर और 10-15 सेंटीमीटर ऊंचाई के उठे हुए बेड तैयार किए जाते हैं। ➣पानी देने, निराई आदि करने के लिए दो क्यारियों के बीच लगभग 70 सेमी की दूरी रखें। क्यारियों की सतह चिकनी और अच्छी तरह से समतल होनी चाहिए।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

मिट्टी➩➣टमाटर के लिए उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसमें  पर्याप्त मात्रा मे जीवांश उपलब्ध हों उपयुक्त होती है। ➣टमाटर उस मिट्टी में सबसे अच्छा विकास करते हैं जिसमें पीएच 6.0 से 7.0 तक होती है।खेत की तैयारी➽➣खेत को 3-4 बार जोतकर अच्छी तरह तैयार कर लें। पहली जुताई जुलाई माह में मिट्टी पलटने वाले हल अथवा देशी हल से करें। खेत की जुताई के बाद समतल करके 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद को समान रूप से खेत में बिखेरकर पुन: अच्छी जुताई कर लें और घास-पात को पूर्णरूप से हटा दें।मिट्टी का शोधन➽ जैविक विधि➽ ➣जैविक विधि से मिट्टी का शोधन करने के लिए ट्राईकोडर्मा विरडी नामक जैविक फफूंद नाशक से उपचार किया जाता है।➣इसे प्रयोग करने  के लिए 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में 1 किलो ट्राईकोडर्मा विरडी को मिला देते हैं एवं मिश्रण में नमी बनाये रखते हैं ।➣4-5 दिन पश्चात फफूंद का अंकुरण हो जाता है तब इसे तैयार क्यारियों में अच्छी तरह मिला देते हैंरसायनिक विधि➽➣रसायनिक विधि के तहत उपचार हेतु कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब नामक दवा की 2 ग्राम मात्रा 1 लीटर पानी की दर से मिला देते है तथा घोल से भूमि को तर करते हैं , जिससे 8-10 इंच मिट्टी तर हो जाये। ➣4-5 दिनों के पश्चात बुआई करते हैं ।

बीज की किस्में

टमाटर के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

उन्नत किस्में➽US 2853➩➣टमाटर की पहली फसल पौध लगाने के 70 दिन बाद मिल जाती है ।इस वैरायटी पर फूल और पत्तियां काफी आती है ।➣एक टमाटर का औसत वजन 100 से 110 ग्राम तक होता है ।इस वैरायटी के टमाटर गोल और कड़े होते है । इस वैरायटी के टमाटर की सेल्फ लाइफ बहुत अच्छी होती है।➣ये किस्म लीफ कर्ल वायरस के प्रतिरोधी है ।युवराज (BSS 1006)➩➣इस वैरायटी के टमाटर गोल होते है। इसके टमाटर का वजन 120 ग्राम हो जाता है। पहली टमाटर की फसल 65 दिन में मिल जाती है । इस वैरायटी को खरीफ या रबी दोनों सीजन में लगा सकते है।➣ये वैरायटी विल्ट और अन्य बीमारियों के प्रतिरोधी है। इसका स्वाद खट्टा है और➣ये वैरायटी दोनों सीजन में लगाई जा सकती है ।अर्का रक्षक F1➩➣इस वैरायटी में अर्ली ब्लाइट, लीफ कर्ल वायरस व् बैक्टीरियल विल्ट के प्रतिरोधी है। इसके टमाटर का रंग गहरा लाल और वजन 80 से 100 ग्राम होता है । प्रति पौधा 12 से 15 किलो किलो की पैदावार होती है।➣ये वैरायटी 140 से 150 दिन की है। प्रति एकड़ 40 से 48 टन की पैदावार देती है ।पौध लगाने के 65-70 दिन में टमाटर की फसल देती है । ये वैरायटी ज्यादा उत्पादन देती है और लम्बे समय तक चलती है । टमाटर सख्त व् समान आकार के होते हैहिम सोहना (Heemsohna)➩➣ये वैरायटी फैलने वाली है और ज्यादा टहनिया आती है ।इस वैरायटी के टमाटर का वजन 90-100 ग्राम तक होता है । इसके टमाटर समान आकार के व सख्त होते है ।➣टमाटर की पहली फसल 65-75 दिन में तैयार हो जाती है । ज्यादा दूरी के ट्रांसपोर्टटेशन के लिए ये वैरायटी अच्छी है। इसका उत्पादन भी अच्छा है।पंजाब रेड चेरी➩➣यह किस्म पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई है। इस किस्म को खास सलाद के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका रंग गहरा लाल होता है और भविष्य में यह पीले, संतरी और गुलाबी रंग में भी उपलब्ध होगी।➣इसकी बिजाई अगस्त या सितंबर में की जाती है और फरवरी में यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह जुलाई तक पैदावार देती है।➣इसकी अगेती पैदावार 150 क्विंटल प्रति एकड़ और कुल औसतन पैदावार 430 - 440 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।पंजाब सर्वना➩➣यह किस्म 2018 में जारी हुई है। इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। इसके फल अंडाकार, संतरी रंग के और दरमियाने होते हैं।➣इस किस्म की पहली तुड़ाई रोप लगाने के 120 दिनों के बाद की जाती है। मार्च के अंत तक इस किस्म की औसतन पैदावार 166 क्विंटल प्रति एकड़ और कुल उपज 1087 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।➣यह किस्म सलाद के तौर पर प्रयोग करने के लिए अनुकूल है।HS 102➩➣यह किस्म जल्दी पक जाती है। इस किस्म के टमाटर छोटे और दरमियाने आकार के गोल और रसीले होते हैं।स्वर्णा वैभव हाइब्रिड➩➣इस किस्म की सिफारिश पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में की जाती है।➣इसकी बुवाई सितंबर-अक्तूबर में की जाती है। इसकी क्वालिटी लंबी दूरी वाले स्थानों पर ले जाने और अन्य उत्पाद बनाने के लिए अच्छी मानी जाती है।➣इसकी औसतन पैदावार 360-400 क्विंटल प्रति एकड़ है।स्वर्णा संपदा हाईब्रिड➩➣इस किस्म की सिफारिश पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में की जाती है।➣इसकी बुवाई के लिए अनुकूल समय अगस्त-सितंबर और फरवरी-मई है।➣यह झुलसा रोग और पत्तों के मुरझाने की रोधक किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 400-420 क्विंटल प्रति एकड़ है।स्वर्णा नवीन➩➣इस प्रजाति की बुवाई जुलाई से सितंबर एवं अप्रैल से मई माह में की जा सकती है, यह प्रजाति जीवाणु जनित उकठा रोग के प्रति सहनशील है।स्वर्ण लालिमा➩➣इस प्रजाति की बुवाई जुलाई से सितंबर एंव फरवरी से अप्रैल माह में की जा सकती है। काशी अमन- इस प्रजाति की उपज क्षमता 300-400 क़्वींटल प्रति एकड़ है। प्रजाति विषाणु जनिक पर्ण र्कुंचन रोग के प्रति सहनशील है।

बीज की जानकारी

टमाटर की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

बीज दर➽➢एक एकड़ के लिए नर्सरी तैयारी के लिए सामान्य क़िस्मों 100 से 150 ग्राम बीज और हाइब्रिड क़िस्म के लिए 80 से 100 बीज की मात्रा का प्रयोग करें।बीजोपचार➽➢फसल को बीज जनित मृदा जनित बीमारियों से बचाने के लिए बीजों को बुवाई से पहले कार्बेनडाज़िम 50 % डब्लूपी  3 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचार करें। इसके बाद ट्राइकोडर्मा 5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचार करें।➢बीज को छांव में रख दें और फिर बुवाई के लिए प्रयोग करें।

बीज कहाँ से लिया जाये?

बीज सदैव किसी विश्वसनीय स्थान से ही खरीदना चाहिए।

उर्वरक की जानकारी

टमाटर की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

टमाटर की अच्छी व गुणवत्ता युक्त फसल लेने के लिए उर्वरकों की मात्रा मृदा परीक्षण के परिणाम के आधार पर तय किया जाना चाहिए। टमाटर में उचित पोषण प्रबंधन के लिए कम्पोस्ट खाद का उपयोग उचित रहता है।➢उर्वरकों का अनुपात➽ एनपीके 70:35:35 किलो प्रति एकड़ प्रयोग करें।➢नाइट्रोजन➩77 किलो यूरिया प्रति एकड़ बुवाई के समय खेत में मिलाएं और 38 किलो यूरिया रोपाई के 30 से 35 दिन बाद और 38 किलो यूरिया 45 से 50 दिन बाद खड़ी फ़सल में डालें।➢फॉस्फोरस➩218 किलो एसएसपी प्रति एकड़ बुवाई के समय सम्पूर्ण मात्रा खेत में मिलाएं।➢पोटाश➩ 60 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) प्रति एकड़ बुवाई के समय सम्पूर्ण मात्रा खेत में मिलाएं।घुलनशील पोषक तत्व➢रोपाई के 10-15 दिन बाद➩ फसल में अच्छे विकास के लिए NPK 19:19:19 @ 5 ग्राम के साथ सूक्ष्म तत्वों को 2.5-3 ग्राम प्रति लीटर में मिलाकर स्प्रे करें।➢रोपाई के 20 -25 दिन बाद➩ शाखाएं और टहनियां निकलने के समय 19:19:19 या 12:61:00 की 4-5 ग्राम प्रति लीटर स्प्रे करें।➢टमाटर के अच्छे उत्पादन के लिए➩ अच्छी क्वालिटी और पैदावार प्राप्त करने के लिए फूल निकलने से पहले 12:61:00 मोनो अमोनियम फॉस्फेट 10 ग्राम प्रति लीटर का स्प्रे करें।➢फूल की अवस्था पर➩ जब फूल निकलने शुरू हो जाएं तो शुरूआती दिनों में बोरेन 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी का स्प्रे करें। यह फूल और टमाटर के झड़ने को रोकेगा।➢कईं बार टमाटरों पर काले धब्बे देखे जा सकते हैं जो कैल्शियम की कमी से होते हैं। इसको रोकने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का स्प्रे करें।➢फूल झड़ने की रोकथाम के लिए➩ अधिक तापमान में फूल गिरते दिखें तो एन.ए.ए (प्लानोफिक्स )  4 मि.ली. प्रति 15 लीटर पानी का स्प्रे फूल निकलने पर करें।➢टमाटर के विकास के समय➩ पोटेशियम सल्फेट  (00:00:50) की 3 - 5 ग्राम प्रति लीटर का स्प्रे करें। यह टमाटर के विकास और बढ़िया रंग के लिए उपयोगी होती है।फल फटने की रोकथाम के लिए➩ ➢इसे रोकने के लिए चिलेटड बोरेन 200 ग्राम प्रति एकड़ प्रति 200 लीटर पानी का स्प्रे फल पकने के समय करें।➢पौधे के विकास, फूल और फल को बढ़िया बनाने के लिए बायोज़ाइम धनज़ाइम 3-4 मि.ली. प्रति लीटर पानी का स्प्रे महीने में दो बार करें। मिट्टी में नमी बनाये रखें।

जलवायु और सिंचाई

टमाटर की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

सिंचाई➩➢टमाटर की फसल को सर्दियों मे 10-15 दिन के अन्तराल से एवं गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल पर हल्का पानी देते रहें। अगर संभव हो सके तो  टमाटर में  सिंचाई ड्रिप विधि  इरीगेशन द्वारा करनी चाहिए। 

रोग एवं उपचार

टमाटर की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

रोग और उनका नियंत्रण➽1) फंगस पत्ती धब्बा रोग (लीफ स्पॉट)➽नुकसान के लक्षण➩➣निचली पत्तियों पर गहरे भूरे किनारों के साथ गोलाकार धब्बे होते हैं और भूरे रंग के केंद्र होते हैं जिनमें छोटे काले बिंदु जैसे संरचना विकसित होती है। यह रोग युवावस्था से वृद्धावस्था  में ऊपर की ओर फैलता है। ➣यदि पत्ती के घाव असंख्य हैं, तो पत्तियाँ थोड़ी पीली हो जाती हैं। नियंत्रण➩➣गैर  फसल के साथ फसल चक्रण प्रथाओं का पालन करें। पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें। ऊपरी सिंचाई से बचें।➣2 किलो ट्राइकोडर्मा विरडी फॉर्मूलेशन को 50 किलो गोबर की खाद में मिलाकर पानी का छिड़काव करें और एक पतली पॉलिथीन शीट से ढक दें।➣जब ढेर पर माइसेलिया की वृद्धि या फफूंद दिखाई दे (15 दिनों के बाद), मिश्रण को एक एकड़ के क्षेत्र में फसल बोने से पहले खेत में लगाएं। ➣क्लोरोथालानिल 75% WP या मैनकोज़ेब 75 WP @ 2 ग्राम / लीटर पानी के साथ पौधों पर  छिड़काव करें।2) पिछेती झुलसा रोग (लेट ब्लाइट)➽नुकसान के लक्षण➩➣पानी से भीगे धब्बे पत्तियों पर दिखाई देते हैं और धीरे-धीरे आकार में बढ़ जाते हैं। पहले  बैंगनी भूरे और अंत में काले रंग के हो जाते हैं।नियंत्रण➩➣इस रोग के नियंत्रण के लिए  सिंचाई विधि से फसल की सिंचाई करने से बचें। गैर-पोषक फसलों के साथ फसल चक्र प्रथाओं का पालन करें, फसल की कटाई के बाद गहरी जुताई करें। ➣फसल उगाने के लिए चयनित रोग प्रतिरोधी या सहनशील किस्में और  रोग मुक्त रोपण सामग्री का चयन करें।➣ज़ीनेब 75% WP @ 2 ग्राम/लीटर या क्लोरोथालोनिल 50 डब्लूपी @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से पौधों पर छिड़काव करें। ➣या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। 3) युवा पौधों का गिरना(डम्पिंग ऑफ)➽ नुकसान के लक्षण➩➣अंकुरित पौधे मिट्टी की सतह पर पहुंचने से पहले ही मर जाते हैंनियंत्रण➩➣खेत में उच्चित जल निकासी का प्रबंध करें।➣खेत में बार-बार हल्की सिंचाई करें।➣रोग का संक्रमण होने पर खेत में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्लूपी या कार्बेन्डाजिम 50 डब्लूपी @ 1 किलोग्राम को 20 किलोग्राम रेत में मिलाकर खेत में भुरकाव करें और खेत की हल्की सिंचाई करें।4) अगेती झुलसा रोग (अर्ली ब्लाइट )➽नुकसान के लक्षण➩➣यह टमाटर की एक सामान्य बीमारी है जो विकास के किसी भी स्तर पर पर्णसमूह पर होती है।➣कवक पत्तियों पर हमला करता है जिससे पत्ती के विशिष्ट धब्बे और झुलसा पैदा होते हैं। अगेती झुलसा सबसे पहले पौधों पर छोटे, काले घावों के रूप में देखा जाता है जो ज्यादातर पुराने पत्ते पर होते हैंनियंत्रण➩➣फसल के अवशेष को हटाना और नष्ट करना।➣फसल चक्र का अभ्यास करने से रोग की घटनाओं को कम करने में मदद मिलती है।➣प्रभावी रोग नियंत्रण के लिए फसल पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 2 से 3 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करें।➣या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। 5) फ्यूजेरियम विल्ट➽नुकसान के लक्षण➩ ➣छोटे पत्ते एक के बाद एक मर सकते हैं और कुछ ही दिनों में फसल पूरी मुरझाकर मर सकती है। शीघ्र ही डंठल और पत्तियाँ झड़ जाती हैं और मुरझा जाती हैं।➣साथ ही पत्तियों में पीलापन भी देखा जाता हैनियंत्रण➩➣प्रभावित पौधों को हटाकर नष्ट कर देना चाहिए।➣कार्बेन्डाजिम 50 % WP 2 से 3 ग्राम  छिड़काव करें➣अनाज जैसी गैर-पोषक फसल के साथ फसल चक्रण।कीट  प्रबंधन➽ 1 ) चेपा (एफिड्स)➽नुकसान के लक्षण➩ ➣टमाटर के पौधे की पत्तियाँ पीली हो जाती हैं, नीचे की ओर मुड़ जाती हैं और पौधों की वृद्धि रूक जाती है। मादा और वयस्क बड़ी मात्रा में पौधे का रस चूसते हैं जिसके कारण वे शहद की बूँद का उत्सर्जन करते हैं। ➣इससे पौधे पर कालिख का साँचा काले रंग का फफूंद द्वितीयक संक्रमण के रूप में विकसित हो जाता है।➣पत्तियों पर काले कालिखदार फफूंदी लग जाती है। यह कीट कई  वायरल रोगों का वाहक भी है।नियंत्रण➩➣खेत और आसपास के क्षेत्रों से खरपतवार हटा दें, फसल चक्र का पालन करें और नाइट्रोजन उर्वरकों की अधिक मात्रा (और एक बार में पूरी खुराक) लगाने से बचें।➣थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी @ 4  ग्राम/10 लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल @ 80 मिली/एकड़ के साथ पौधों पर  छिड़काव करें।2 ) तम्बाकू कैटरपिलर (टोबेको  कैटरपिलर)➽नुकसान के लक्षण➩ ➣कीट की युवा लार्वा पहले सामूहिक रूप से भोजन करते हैं और पत्तियों को कुरेदते हैं।  ➣पुराने बड़े लार्वा फैल जाते हैं और पत्तियों को पूरी तरह से खा सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप पौधों की वृद्धि खराब रुक होती है।नियंत्रण➩➣इसके नियंत्रण के लिए गर्मी के दिनों में खेत की जुताई करें और फसल की बुवाई से पहले, खेत की सीमाओं पर अरंडी को ट्रैप फसल के रूप में उगाएं। ➣बाढ़ विधि से खेत की सिंचाई करें।➣स्पिनोसैड 45 एससी @ 64 मिली/एकड़ या क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी @ 60 मि.ली./एकड़ के साथ पौधों का छिड़काव करें।3) फल छेदक (फ्रूट बोरर )➽नुकसान के लक्षण➩➣युवा लारवा पत्ते  को खाते हैं➣लारवा फल में गोलाकार छिद्र बनाते हैंनियंत्रण➩➣संक्रमित फलों और बड़े लार्वा को इकट्ठा करके नष्ट कर दें➣एक साथ 40 दिन का अमरीकन लंबा गेंदा और 25 दिन के टमाटर के पौधे 1:16 पंक्तियों में उगाएं➣स्पिनोसैड 45 एससी @ 64 मिली/एकड़ या क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी @ 60 मि.ली./एकड़ के साथ पौधों का छिड़काव करें।4)  सफेद मक्खी (वाइट फ्लाई )➽नुकसान के लक्षण➩➣पत्तियों का पीला पड़ना एवं मुरझा जाना➣पत्तियों का नीचे की ओर मुड़ना और सूखनानियंत्रण➩➣रोगग्रस्त पत्ती कर्ल पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें➣नाइट्रोजन और सिंचाई का प्रयोग विवेकपूर्ण ढंग से करें।➣थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी @ 4 ग्राम/10 लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल @ 60 मिली/एकड़ के साथ पौधों पर  छिड़काव करें। 5)  मिलीबग➽नुकसान के लक्षण➩➣पत्तियों और टहनियों पर सफेद, सूती कीट  की उपस्थिति➣अवरुद्ध विकासनियंत्रण➩➣नीम का तेल 0.5% टीपोल 1 मिली/लीटर के साथ स्प्रे करें। ➣क्लोरपायरीफास, मेलाथियान या इमिडाक्लोप्रिड की 2 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी मे घोलकर उसमे 2 चम्मच सर्फ पाउडर/ टंकी मिलाकर 15-20 दिनो के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करना चाहिये➣सिंचाई के पानी के साथ क्लोरपायरीफास 1 ली/हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये।➣नीम उत्पाद जैसे एजाडायरेक्टीन 5 मि.ली./लीटर एवं 2-3 चम्मच सर्फ पाउडर/टंकी मिलाकर छिड़काव करना चाहिये।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण➽➣टमाटर में खरपतवार को रोकने के लिए थोड़े थोड़े समय बाद गुड़ाई करते रहें और जड़ों को मिट्टी लगाएं।➣बुवाई के  45 दिनों तक खेत को खरपतवार  रहित रखें।➣यदि खरपतवार नियंत्रण से बाहर हो गए  तो यह 70-90 प्रतिशत पैदावार कम कर देंगे। ➣पनीरी लगाने के 2-3 दिन बाद फ्लूकोरेलिन 800 मि.ली.प्रति 200 लीटर पानी की स्प्रे बिजाई से पहले वाले नदीन नाशक के तौर पर करें।

सहायक मशीनें

देशी हल या हैरों, खुरपी, फावड़ा, आदि