स्टीविया एक बहुवर्षीय कोमल पौधा है। यह कृत्रिम रूप से मीठा स्वाद पैदा करने वाले पदार्थ जैसे - सेक्रींन, एस्पार्टम, एसलफोम, इत्यादि का एक बेहतर विकल्प है।यह पौधा अपनी सामान्य अवस्था में आम शक्कर से लगभग 25 से 30 गुना ज्यादा मीठा होता है, जबकि इससे निकाला जाने वाला एक्सट्रैक्ट शक्कर से लगभग 300 गुना ज्यादा मीठा होता है। स्टीविया मीठे (चीनी) का प्राकृतिक स्रोत है। स्टीविया की खेती उन क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है, जहाँ तापमान 10 से 41 डिग्री सेल्सियस के मध्य हो।
भारत में स्टीविया की खेती कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पँजाब तथ्य मध्य प्रदेश में की जाती है।
स्टीविया के पत्तों में पाये जाने वाले प्रमुख घटक हैं स्टिवियोसाइड, रीबाउदिस, रीबाउदिसाइड-सी, ग्लूकोसाइड तथा 6 अन्य योगिक। इस योगिकों में इन्सुलिन को संतुलित करने के गुण पाये जाते हैं। स्टीविया मीठे के रूप में मिष्ठानों में प्रयुक्त किये जाने के साथ-साथ यह उच्च रक्तचाप तथा रक्त शर्करा का भी नियमितीकरण करता है, जिससे चर्म विकारों को दूर करने में भी सहायक है।
स्टीविया की टिश्यूकल्चर विधि से तैयार की हुई पौध प्राप्त करके पौध से पौध की दूरी 6-9 इंच तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी 40 सेमी की दूरी रखनी चाहिए।
बलुई दोमट मिट्टी, जिसका पी.एच. 6 से 8 के बीच हो, इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है। पहली जुताई मिट्टी पलट हल से करने के बाद 2-3 जुताई हैरों या कल्टीवेटर से करके पाटा लगा देना चाहिए।
बी.आर.आई.123,बी.आर.आई.512,बी.आर.आई.128, आदि।
एक एकड़ की खेती के लिए आपको कम से कम 40000 पौधे की जरुरत होती है
स्टीविया के बीज किसी विश्वसनीय स्थान से खरीदना चाहिए!
6 टन गोबर या कम्पोस्ट की खाद खेत तैयार करते समय खेत में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। स्टीविया की फसल में किसी भी प्रकार के रासायनिक उर्वरको अथवा टॉनिकों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
स्टीविया को वर्ष भर पानी की आवश्यकता होती है। गर्मियों में इसकी आवश्यकता अनुसार 5-7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
स्टीविया की फसल पर सामान्यतः कीट एवं रोग का प्रकोप नहीं देखा गया है। बोरॉन तत्व की कमी से पत्तियों पर धब्बे पड़ जाते हैं इसके निदान हेतु 6% बोरेक्स का छिड़काव किया जाना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण हेतु नियमित अन्तरालों पर खेत की निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए।
मिट्टी पलट हल, देशी हल, हैरों या कल्टीवेटर, खुर्पी, फावड़ा, आदि यंत्रों की आवश्यकता होती है।