चिचिन्डा की खेती

भारत में चिचिंडा का सब्जियों में प्रमुख स्थान है। इसकी थोड़ी-बहुत खेती उत्तरी भारत में भी की जाती है। इसका हरा फल सब्जी के लिए प्रयोग किया जाता है। पकने पर यह दस्तावर  होता है।


चिचिन्डा

चिचिन्डा उगाने वाले क्षेत्र

चिचिण्डा की खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु में होती है। यह समस्त भारत में उपजाई जाती है। ख़ास तौर पर उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र तथा पंजाब में सब्जी के रूप में इसकी खेती ख़ूब की जाती है।

चिचिन्डा की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

नमी-94.6 ग्राम, वसा-00.3 ग्राम, रेशा-00.8 ग्राम, कैलोरीज-18 ग्राम, मैग्नीशियम-53 मिलीग्राम, फास्फोरस 20 मिलीग्राम, सोडियम-25.4 मिलीग्राम, कॉपर 00.11 मिलीग्राम, क्लोरीन-21 मिलीग्राम, थियामीन-0.04 मिलीग्राम, निकोटिनिक अम्ल 0.03 मिलीग्राम, प्रोटीन-0.5 ग्राम, खनिज पदार्थ-0.5 ग्राम, अन्य कार्बोहाइड्रेट 3.3 ग्राम, कैल्शियम-26 मिलीग्राम, ऑक्जैलिक अम्ल-34 मिलीग्राम, लोहा-0.03 मिलीग्राम, लोहा-0.03 मिलीग्राम, पोटेशियम-34 मिलीग्राम, सल्फर-35 मिलीग्राम, विटामिन 'ए'-160, रिबोफ्लेविन-160 I.U.।

बोने की विधि

अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए लाइन से लाइन की दूरी 2.5 मीटर तथा पौध से पौधे की दूरी 1 मीटर रखनी चाहिए।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

यह सभी प्रकार की मृदा में उगाया जा सकता है, जिसमें उचित जल निकास की व्यवस्था हो। पहली जुताई मिट्टी पलट हल से करने के बाद 2-3 जुताई देशी हल या हैरों से करके पाटा लगा देना चाहिए।

बीज की किस्में

चिचिन्डा के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

चिचिन्डा की उन्नतशील किस्में एच.-8, एच.-371, 372 तथा Co.1, टी.ए.-19, आई.आई.एच.आर.-16A आदि हैं।

बीज की जानकारी

चिचिन्डा की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

5-6 किलोग्राम बीज एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त होता है।

बीज कहाँ से लिया जाये?

चिचिन्डा के बीज किसी विश्वसनीय स्थान से ही खरीदना चाहिए।

उर्वरक की जानकारी

चिचिन्डा की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

20-25 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद खेत तैयार करते समय मिट्टी में मिला देनी चाहिये। इसके बाद 40 किलो नाइट्रोजन 25 किलो फॉस्फोरस एवं 25 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिये। फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा व नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय तथा बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा बोने के 1 - 1.5 माह बाद देनी चाहिए।

जलवायु और सिंचाई

चिचिन्डा की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

यह फसल वर्षा-ऋतु में पैदा की जाती है जिसकी जून-जुलाई में अधिकतर बुवाई की जाती है । शुरू में नमी अनुसार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है । 8-10 दिन के अन्तर से सिंचाई करनी चाहिए । बाद में वर्षा न होने पर पानी देते रहना चाहिए ।

रोग एवं उपचार

चिचिन्डा की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

चिचिन्डा की फसल पर कीट व रोग अन्य कुकरविटस की तरह ही अधिकतर लगते हैं तथा इन कीट व रोगों का निवारण भी ठीक उसी प्रकार से करना चाहिए जिस प्रकार से अन्य कुकरविटस फसलों का किया जाता है ।

खरपतवार नियंत्रण

शुष्क मौसम में पांचवें दिन पर सिंचाई करनी चाहिए।

सहायक मशीनें

मिट्टी पलट हल, देशी हल या हैरों, फावड़ा, खुर्पी, आदि यंत्रो की आवश्यकता होती है।