अनार की खेती

अनार का रस स्वाद से भरा होता है। इसमें औषधीय गुण भी होते हैं। अनार सेहत के लिए बहुत फायदेमंद और पोषक तत्त्वों से भरपूर फल माना जाता है। अनार में खासतौर से विटामिन ए, सी, ई, फॉलिक एसिड और एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। फलों के विकास व पकने के समय, गरम व शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। फल के विकास के लिए सही तापमान 38° सेंटीग्रेड माना जाता है।


अनार

अनार उगाने वाले क्षेत्र

अनार की खेती के लिए उचित जलवायु परिस्तिथिया -अनार उपोष्ण जलवायु का पौधा है। फलों के विकास एवं पकने के समय गर्म एवं शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। फल के विकास के लिए सही तापमान 38˚सेंटीग्रेड माना जाता है। लम्बे समय तक उच्च तापमान रहने से फलों में मिठास बढ़ती है। आर्द्र जलवायु से फलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है एवं फफूंद जनक रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है। लंबे गर्म और शुष्क गर्मियां और हल्की सर्दियाँ तथा कम वार्षिक वर्षा वाले शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्र गुणवत्तापूर्ण फल उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं। यह हल्के पाले के लिए सहिष्णु है और काफी हद तक सूखे से भी अप्रभावित है। अनार की खेती के लिए मिट्टी अनुकूल तापमान ऐसा होना चाहिए -अनार विभिन्न प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकता है। परन्तु अच्छे जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोतम होती है। फलों की गुणवत्ता एवं रंग भारी मृदाओं की अपेक्षा हल्की मृदाओं में अच्छा होता है। अनार मृदा लवणीयता 9.00 ई.सी./मि.ली. एवं क्षारीयता 6.78 ई.एस.पी. तक सहन कर सकता है। मध्यम ढलान (3-5%) वाली अच्छी तरह से सूखी भूमि का चयन करें। इसे थोड़ी खारी मिट्टी में अच्छी तरह से उगाया जा सकता है क्योंकि यह एक खारेपन को सहनयोग्य फल की फसल है। आदर्श तापमान 20-32C है।यह आसानी से 45-48C तक शुष्क गर्म हवाओं वाले तापमान का सामना कर सकता है।

अनार की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

एक कप अनार के दानो (arils)-174 ग्राम) में शामिल पोषक तत्व है। फाइबर: 7 ग्राम प्रोटीन: 3 ग्राम विटामिन सी: आरडीए का 30% विटामिन: आरडीए के 36% फोलेट: आरडीए के 16% पोटेशियम: आरडीए के 12%

बोने की विधि

अनार के पौधों को लगाने का सही समय अगस्त से सितंबर या फरवरी से मार्च के बीच होता है। रोपण के 1 महीने पहले 60*60*60 सेंटीमीटर (लंबाई, चौड़ाई, गहराई) आकार के गड्ढे खोदें। आमतौर पर 5 5 या 6 6 मीटर की दूरी पर, सघन विधि में बाग लगाने के लिए 5 3 मीटर की दूरी पर अनार की रोपाई की जाती है। सघन विधि से बाग लगाने पर पैदावार डेढ़ गुना तक बढ़ सकती है। सघन रोपण पद्धति में 5 2 मीटर (1,000 पौधें /हे.), 5 3 मीटर (666 पौधें /हे.), 4.5 3 (740 पौधें /हे.) की आपसी अन्तराल पर रोपण किया जा सकता है। प्रति एकड़ पौधो की संख्या पौधे के बीच की दूरी और पौधों की संख्या दो पंक्ति के बीच की दूरी 15.0 फुट दो पौधों के बीच का अंतर 10.0 फुट, पौधों की संख्या 293 प्रति एकड़। गणेश जैसी किस्मों को फैलाने के लिए दो पंक्ति के बीच की दूरी, 16.0 फुट दो पौधों के बीच का अंतर, 13.0 फुट पौधों की संख्या, 211 प्रति एकड़ गड्ढे भरने के बाद सिंचाई करें, ताकि मिट्टी अच्छी तरह से जम जाए। उस के बाद पौधों की रोपाई करें। रोपाई के बाद तुरंत सिंचाई करें। सघन विधि से बाग लगाने पर पैदावार डेढ़ गुना तक बढ़ सकती है।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

अनार की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। फलों की गुणवत्ता व रंग हल्की मिट्टी में अच्छा होता है। भूमि की तैयारी - 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर के गड्ढे खोदें या मिट्टी की स्थिति के आधार पर क्यारियों के साथ 0.75 मीटर चौड़ाई x 0.75 मीटर गहरे गड्ढे बनाएं। आरोपण से पहले गड्ढों/खाइयों को एक महीने या उससे अधिक समय पहले खोदा जाता है और कम से कम 1 महीने के लिए खुला रखा जाता है (अप्रैल-मई के दौरान) ताकि यह तीव्र सौर विकिरण द्वारा कीटाणुरहित हो। गड्ढों/खाई के नीचे और किनारों को कार्बारिल डस्ट 50 ग्राम/गड्ढा या 5 लीटर के घोल में 0.4% (4 मिली/लीटर) क्लोरपायरीफॉस 20 इसी के साथ उपचारित किया जाना चाहिए। ब्लीचिंग पाउडर (यानी 33% सीएल) @ 100 ग्राम/गढ्ढे का भी उपयोग किया जा सकता है। मिट्टी, रेत/मूर के 1:1 अनुपात के साथ गड्ढे/खाई को भरें। गोबर की खाद (अच्छी तरह से विघटित)- 3.5 टन डालो कम्पोस्ट बेक्टेरिया- 3 किग्रा वर्मीकम्पोस्ट-300 किग्रा नीम केक-300 किग्रा ट्रिकोडर्मा घोल- 1 किग्रा फॉस्फेट घोलने वाला बैक्टीरिया (पीएसबी)- 1 किग्रा एजोटोबैक्टर घोल- 1 किग्रा स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस- 1 किग्रा एज़ोस्पिरिलम घोल- 1 किग्रा पैक्लियोमाइसेस घोल- 1 किग्रा सभी अवयवों को मिलाएं, छाया के नीचे अपनी सुविधा के किसी भी लम्बाई की 1 फीट ऊँचाई बनाएं, पानी से नम करें, पॉलीइथिलीन शीट के साथ 10 दिनों के लिए ढक दें। हर दिन एक बार मिलाओ। 10-12 किग्रा/पौधा लगाएं और मिट्टी की ऊपरी 50 सेमी परत में मिलाएं।

बीज की किस्में

अनार के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

1. गणेश - इस किस्म के फल मझोले आकार के व बीज मुलायम गुलाबी रंग के होते हैं और उत्पादन 40.0 क्विंटल/एकड़ है। 2. ज्योति - फल मझोले से थोड़े बड़े आकार के चिकने व पीलापन लिए हुए लाल रंग के होते हैं। इस के बीज मुलायम व बहुत मीठे होते हैं। 3. मृदुला -फल मझोले आकार के चिकनी सतह वाले गहरे लाल रंग के होते हैं। दाने गहरे लाल रंग के, बीज मुलायम, रसदार व मीठे होते हैं। इस किस्म के फलों का औसत वजन 250-300 ग्राम होता है और अनार उत्पादन 60.0 क्विंटल/एकड़ है। 4. भगवा - इस किस्म के फल बड़े आकार के भगवा रंग के चिकने व चमकदार होते हैं। दाने आकर्षक लाल रंग के व बीज मुलायम होते हैं। अच्छा प्रबंधन करने पर प्रति पौधा 30-40 किलोग्राम उपज हासिल की जा सकती है और उत्पादन 75.0 क्विंटल/एकड़। 5. फुले अरक्ता - यह एक ज्यादा उपज देने वाली किस्म है। फल बड़े आकार के मीठे, मुलायम बीजों वाले होते हैं। दाने लाल रंग के व छिलका चमकदार लाल रंग का होता है। अच्छा प्रबंधन करने पर प्रति पौधा 25-30 किलोग्राम उपज हासिल की जा सकती है और उत्पादन 90.0 क्विंटल/एकड़ है। 6. कंधारी - इस के फल बड़े और ज्यादा रसीले होते हैं, लेकिन बीज कुछ सख्त होते हैं। अनार की अन्य किस्में रूबी, करकई, गुलेशाह, बेदाना, खोग व बीजरहित जालोर आदि हैं।

बीज की जानकारी

अनार की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

नर्सरी की तैयारी - रोग मुक्त नर्सरी प्लांट से 4 महीने पुरानी वायु परतदार कटाई का चयन करें। वायु परतदार कटिंग को विशेषतः काले पॉलिथीन बैग (4 X6 आकार, 250 गेज) में उठाया जाना चाहिए। 100 किलो मिट्टी के लिए पॉलीथिन बैग का 13वाँ हिस्सा ट्रिकोडर्मा विरीडे या टी हरजिएनम में डालना चाहिए, स्युडोमोनास फ्लोरेसेंस 200 ग्राम, नीम केक (5 किलो/100 किग्रा मिट्टी) को खाद के साथ मिलाना चाहिए, व्हीएएम कल्चर (200 ग्राम/100 किग्रा मिट्टी) के साथ अकेले या इन सभी के संयोजन में शामिल किया जा सकता है। बैगिंग करते समय, एयर लेयर्ड कटिंग की जड़ों को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.2%) के साथ उपचारित किया जाना चाहिए। वायु परतदार प्लांट मटेरियल को 50% शेड नेट पर रखा जाना चाहिए और लगभग 10 बैग को 1 मीटर क्षेत्र में रखा जा सकता है और आस-पास के 1 मीटर क्षेत्र को दो कतारों के बीच छोड़ दिया जाता है। नर्सरी को 15 दिनों के अंतराल पर मैनकोजेब (0.25%) या क्लोरोथालोनिल (0.25%) के साथ छिड़काव किया जाएगा। आवश्यकता के अनुसार वायु स्तरित रोपण सामग्री को पानी पिलाया देना चाहिए।

बीज कहाँ से लिया जाये?

अनार का बीज/पौधा किसी विश्वसनीय स्थान से ही खरीदना चाहिए।

उर्वरक की जानकारी

अनार की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

अनार की फ़सल में खाद एवं उर्वरक- पहला वर्ष- 200:100:400 एन:पी:के ग्राम प्रति पौधा बुवाई के समय लगायें - गोबर खाद-10 किग्रा यूरिया- 225 ग्राम प्रति पौधा, सिंगल सुपर फॉस्फेट- 625 ग्राम प्रति पौधा, म्यूरेट ऑफ़ पोटाश- 665 ग्राम प्रति पौधा। दुसरे से पांचवे वर्ष में - 400:250:800 एन:पी:के ग्राम प्रति पौधा गोबर खाद-20 किग्रा यूरिया- 860 ग्राम प्रति पौधा, सिंगल सुपर फॉस्फेट- 1562 ग्राम प्रति पौधा, म्यूरेट ऑफ़ पोटाश- 1330 ग्राम प्रति पौधा छठे वर्ष बाद- 600:500:1200 एन:पी:के ग्राम प्रति संयंत्र गोबर खाद-30 किग्रा यूरिया- 1290 ग्राम प्रति पौधा, सिंगल सुपर फॉस्फेट- 3125 ग्राम प्रति पौधा, म्यूरेट ऑफ़ पोटाश- 1700 ग्राम प्रति पौधा। अनार की फ़सल सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता की पूर्ति -1. जब पौधों पर पुष्प आना शुरू हो जाएं तो उसमें नत्रजन: फॉस्फोरस: पोटाश (12: 61: 00) को 8 किलो / हेक्टेयर की दर से एक दिन के अंराल पर एक महीने तक दें। 2. जब पौधों में फल लगने शुरू हो जाएं तो नत्रजन: फॉस्फोरस: पोटाश (19: 19: 19) को ड्रिप की सहायता से 8 कि.ग्रा./ हैक्टेयर की दर से एक दिन के अंतराल पर एक महीने तक दें। 3. जब पौधों पर शत प्रतिशत फल आ जाएं तो नत्रजन: फॉस्फोरस: पोटाश (00: 52: 34) या मोनोपोटेशियम फास्फेट 2.5 किलो /हेक्टेयर की मात्रा को एक दिन के अन्तराल पर एक महीने तक दें। फसल के मौसम में 3 पत्ते का छिड़काव देकर पोषक तत्व का प्रबंधन किया जा सकता है। अनार की फसल में अच्छे उत्पादन के लिए वृद्धि नियंत्रक - बेहतर फूल और अच्छी पैदावार के लिए पतझड़ के लिए 1 महीने पहले एंबे, मृग और हस्त बहार पर पतझड़ के लिए एथेफॉन 39% एसएल 40 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव मददगार होता है।  कटाई के 4-5 महीने पहले कुछ कैमिकल जैसे 150-250 पीपीम गिब्बरेलिक एसिड, 0.2% बोरोन, 1% पोटाशियम नाइट्रेट या मैग्नीशियम सल्फेट, 5% फिनोलीन (प्रतिवाष्पोत्सर्जक) के साथ छिड़काव करना चाहिए, ड्रिप सिंचाई के जरिए सूक्ष्म पोषक तत्व, नियमित सिंचाई करें और मल्चिंग से अनार में फल टूटने में कमी होती है।

जलवायु और सिंचाई

अनार की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

 अनार की खेती में सिंचाई प्रबंधन - अनार एक सूखी फसल है। इसकी सिंचाई मई से शुरू कर के मानसून आने तक करते रहना चाहिए। बारिश के मौसम के बाद फसलों के अच्छे विकास के लिए 10-12 दिनों पर सिंचाई करनी चाहिए। बूंद-बूंद सिंचाई अनार के लिए बेहतर होती है। इस में 43 फीसदी पानी की बचत व 30-35 फीसदी उपज में बढ़ोतरी पाई गई है।  ड्रिप-3 साल पुराने पेड़ों के लिए, 2 ड्रिपर्स प्रति पेड़ पौधों को आवश्यक सिंचाई प्रदान करने के लिए पर्याप्त हो सकते हैं। जबकि 4 साल से पुराने पेड़ों के लिए से 4 ड्रिपर्स प्रति पेड़ बेहतर हो सकते हैं। गैर असर वाले पेड़ों के लिए, लगभग 5-25 लीटर प्रति पेड़ प्रति दिन और 20-65 लीटर प्रति पेड़ प्रति दिन के लिए दिन की जरूरत होती है। बाढ़- पहली सिंचाई मई के मध्य में मृग बहार की फसल के मामले में प्रदान की जाती है, इसके बाद मानसून के आने तक नियमित सिंचाई की जाती है।  ग्रीष्मकाल में साप्ताहिक सिंचाई और पखवाड़े के अंतराल पर सर्दियों के दौरान इसकी सिफारिश की जाती है।

रोग एवं उपचार

अनार की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

अनार में अच्छे फलन के लिए बहार नियंत्रण महत्वपूर्ण कार्य -अनार में वर्ष मे तीन बार जून-जुलाई (मृग बहार), सितम्बर-अक्टूबर (हस्त बहार) एवं जनवरी-फरवरी (अम्बे बहार) में फूल आते हैं। व्यवसायिक रूप से केवल एक बार की फसल ली जाती है और इसका निर्धारण पानी की उपलब्धता एवं बाजार की मांग के अनुसार किया जाता है। जिन क्षेत्रों मे सिंचाई की सुविधा नही होती है वहाँ मृग बहार से फल लिये जाते हैं तथा जिन क्षेत्रों में सिचाई की सुविधा होती है वहॉ फल अम्बें बहार से लिए जाते हैं। बहार नियंत्रण के लिए जिस बहार से फल लेने हो उसके फूल आने से दो माह पूर्व सिचाई बन्द कर देनी चाहिये। अनार में फल गलन की समस्या -ब्लाइट की समस्या तथा पोटाश की कमी के निवारण हेतु कासुगामासिन (Kasugamycin) 3%SL की 25ML मात्रा के साथ कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (Copper Oxychloride) 50WP की 40 ग्राम मात्रा 15 लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करें और फल के आकर को बढ़ाने के लिए म्यूरट ऑफ़ पोटाश पौधे की जड़ क्षेत्र में दें। अनार की भयंकर समस्या फलों का फटना -इसकी रोकथाम के लिए बोरॉन (B) की 30 ग्राम मात्रा 15 लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करें तथा बोरॉनयुक्त उर्वरक पौधे के जड़ क्षेत्र में देकर सिंचाई करें। अनार के छोटे फल का गीरना फल ड्रॉपिंग की समस्या- प्लानोफीक्स 4.5SL 4ML +N.P.K 0.52.34. 60 ग्राम 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें पोटेशीयम सल्फेट 0.0.50 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर घोल को जड़ क्षेत्र में देवें। अनार के पत्तों पर सफेद धब्बा रोग- रोकथाम के लिए प्रोपीनेब (Propineb) (इंट्राकॉल) 30 ग्राम मात्रा साथ में प्रोफेनोफोस (Profenofos) 50 EC की 30 ML मात्रा को 15 लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करें।

खरपतवार नियंत्रण

अनार के पौधों में खरपतवार  पर नियंत्रण पाने के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों ही विधियों का इस्तेमाल किया जा सकता है | इसकी पहली गुड़ाई को पौध रोपाई के एक माह बाद करना होता है | इसके पौधों को एक वर्ष में तीन से चार गुड़ाई की आवश्यकता होती है | इससे पौधों में फलो की मात्रा अच्छी प्राप्त होती है |

सहायक मशीनें

मिट्टी पलट हल, देशी हल या हैरों, फावड़ा, खुर्पी, हसियां या दराँती आदि यंत्रो की आवश्यकता होती है।