नाशपाती की खेती

यह सयंमी क्षेत्रों का महत्वपूर्ण फल है| तह रोज़ेसी प्रजाति से  संबंध रखता है| इसको समुंद्र तल से 1,700-2,400 मीटर की ऊंचाई पर उगाया जाता है| यह फल प्रोटीन और विटामिन का मुख्य स्त्रोत है| कई तरह की जलवायु और मिट्टी के अनुकूल होने के कारण नाशपाती की खेती भारत के उप-उष्ण से सयंमी क्षेत्रों में की जा सकती है|


नाशपाती

नाशपाती उगाने वाले क्षेत्र

भारत में नाशपाती की खेती हिमाचल प्रदेश तथा कश्मीर में की जाती हैं

नाशपाती की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

इसके प्रति 100 ग्राम खाने योग्य भार में - नमी-86.7 ग्राम, प्रोटीन- 0.2 ग्राम, वसा- 0.1 ग्राम, खनिज लवण- 0.3 ग्राम, रेशा-1.0 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट- 11.5 ग्राम, कैल्सियम- 10 मिग्रा., फास्फोरस-10 मिग्रा., लौह- 700 मिग्रा., ऊर्जा- 47 कैलोरी, कैरोटीन- 14 आई.यू., विटामिन बी - 20 मिग्रा.और राइबोफ्लेविन 30 मिग्रा. पायी जाती है।

बोने की विधि

पौधों के बीच 8x4 मीटर का फासला रखें| बिजाई से पहले खेत को अच्छी तरह से साफ करें और फसल की बचा-खुचा हटा दें| फिर ज़मीन को अच्छी तरह से समतल करें और पानी के निकास के लिए हल्की ढलान दें|बीज की गहराई1x1x1 मीटर आकार के गड्डे खोदे और बिजाई से एक महीना पहले नवंबर में ऊपर वाली मिट्टी और रूड़ी की खाद से भर कर छोड़ दें| आखिर में गड्डे को मिट्टी, 10-15 किलो रूड़ी की खाद, 500 किलो सिंगल सुपर फासफेट और क्लोरपाइरीफोस 50 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी में डालें|बिजाई का ढंगबिजाई के लिए वर्गाकार या आयताकार विधि अपनाये| पहाड़ी क्षेत्रों में ढलान विधि का प्रयोग किया जाता है|

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

बलुई दोमट भूमि उपयुक्त रहती है। क्षेत्र की झाड़ियों को काटंकर उनकी जड़ों और ठूंठ को खोद कर निकाल देते हैं।

बीज की किस्में

नाशपाती के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

(i) फ्लेमिश ब्यूटी - इस किस्म के फल आकार में बड़े, सुगंध युक्त, स्वादिष्ट होते हैं। फलों का रंग मक्खन की तरह पीलापन लिए हुए होते हैं। कभी-कभी फल के कुछ हिस्से गहरे लाल रंग लिए हुए होते हैं। (ii) शिनसुई - इस किस्म के फल मध्यम से बड़े आकार के गोल और हरे होते हैं। फलों का गूदा हल्का सफेद, रसदार, ग्रिट कोशाओं की संख्या अधिक, मीठा एवं पेड़ अधिक वृद्धि करने वाला होता है। फल जुलाई के दूसरे सप्ताह में पककर तैयार हो जाते हैं।

उर्वरक की जानकारी

नाशपाती की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

जब फसल 1-3 साल की हो, तो 10-20 रूड़ी की खाद, 100-300 ग्राम यूरिया, 200-600 ग्राम सिंगल फासफेट, 150-450 ग्राम मिउरेट ऑफ़ पोटाश प्रति वृक्ष को डालें| 4-6 साल की फसल के लिए 25-35 रूड़ी की खाद, 400-600 ग्राम यूरिया, 800-1200  ग्राम सिंगल फासफेट, 600-900 ग्राम मिउरेट ऑफ़ पोटाश प्रति वृक्ष को डालें| 7-9 साल की फसल के लिए40-60 रूड़ी की खाद,700-900 ग्राम यूरिया,1400-1800 ग्राम सिंगल फासफेट, 1050-1350 ग्राम मिउरेट ऑफ़ पोटाश प्रति वृक्ष को डालें| 10 साल या इससे ज्यादा की फसल के लिए 60 रूड़ी की खाद, 1000 ग्राम यूरिया, 2000 ग्राम सिंगल फासफेट, 1500 ग्राम मिउरेट ऑफ़ पोटाश प्रति वृक्ष को डालें|रूड़ी की खाद, सिंगल सुपर फासफेट और मिउरेट ऑफ़ पोटाश की पूरी मात्रा दिसंबर के महीने में डालें| यूरिया की आधी मात्रा फूल निकलने से पहले फरवरी के शुरू में और बाकी की आधी मात्रा फल निकालनेके बाद अप्रैल के महीने में डालें|

जलवायु और सिंचाई

नाशपाती की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

रोपाई के बाद इसको नियमित सिंचाई की पड़ती है। सामान्यतः गर्मियों में 5 -7 दिनों, तथा सर्दियों में 15 दिनों के अन्तराल से सिंचाई करनी चाहिए। फल देने वाले पौधों को गर्मियों में खुला पानी दें। इससे फल की गुणवत्ता और आकार में विकास होता है।

रोग एवं उपचार

नाशपाती की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

सैंजो स्केल- यह सेब का भयंकर नवजात रेंगते हुए स्केल को नष्ट नाशीकीट है। इससे कम प्रकोपित करने के लिए मई महीने में पौधों की छाल पर छोटे-छोटे सुई की नोक जैसे भूरे रंग के धब्बे नजर आते हैं और अधिक प्रभावित पौधों पर यही धब्बे एक दूसरे से मिलकर ऐसे दिखाई पड़ते हैं जैसे पौधे पर राख का छिड़काव किया गया हो। पौधों की बढ़ौतरी रूक जाती है और पौधे सूखने लगते है|रोकथाम- इसके लिए क्लोरपाइरीफॉस 0.04 प्रतिशत, 400 मिलीलीटर 20 ईसी या डाइमैथोएट 30 ईसी 0.03 प्रतिशत 200 मिलीलीटर का 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें| अधिकतर क्षेत्रों में मई के महीने में यह छिड़काव करना उपयुक्त रहता है|व्हाईट स्केल- यह कई क्षेत्रों में नाशपाती वृक्ष की छोटी शाखाओं, बीमों और फल के बाहरी दलपुंज में देखा जाता है| स्केल के प्रकोप से पौधे के भाग प्रायः सूख जाते हैं|रोकथाम- प्रभावित पौधों पर सितम्बर और अक्तूबर में फल तोड़ने के बाद क्लोरपाइरीफॉस का छिड़काव करें| घोल से पूरा पौधा तर हो जाना चाहिए| यदि छिड़काव के 24 घण्टे के भीतर वर्षा हो जाये तो छिड़काव दुबारा करें| एक बड़े पेड़ के लिए 6 से 8 लिटर घोल की आवश्यकता होती है|चेपा और थ्रिप्स- यह नाशपाती पौधे के पत्तों का रस चूसते है, जिससे पत्ते पीले पड़ जाते हैं| यह शहद जैसा पदार्थ छोड़ते हैं, जिस कारण प्रभावित भागों पर काले रंग की फंगस बन जाती है|रोकथाम- फरवरी के आखिरी हफ्ते जब पत्ते झड़ना शुरू हो तो इमीडाक्लोप्रिड 60 मिलीलीटर या थाईआमिथोकसम 80 ग्राम को प्रति 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें| दूसरी तर छिड़काव मार्च महीने में करें और तीसरा छिड़काव फल के गुच्छे बनने पर करें|

खरपतवार नियंत्रण

खेत में उगे खरपतवारों को खुर्पी की सहायता से निकाल देना चाहिए।

सहायक मशीनें

मिट्टी पलट हल, देशी हल या हैरों, फावड़ा, खुर्पी, आदि यंत्रों की आवश्यकता होती है।