संतरा की खेती

संतरा एक प्रसिद्ध लोकप्रिय फल है, जो कि लगभग हर देश में पाया जाता है। संतरे में कई तरह के विटामिन्स एवं खनिज पदार्थ पाए जाते हैं, जो कि सेहत के लिए फायदमेंद होते हैं। साथ ही अगर इस फल का सेवन नियमित रूप से किया जाए, तो कई बीमारी से शरीर की रक्षा भी जा सकता है।


संतरा

संतरा उगाने वाले क्षेत्र

भारत में संतरे की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में की जाती है।

संतरा की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

संतरा विटामिन सी एवं विटामिन ए का अच्छा स्रोत है। संतरे में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स भी प्रचूर पायी जाती है, जो हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है। संतरा खून साफ करने के साथ ही स्टेमिना बढ़ाने में भी मददगार होता है।

बोने की विधि

रोपण के लिए 60 X 60 X 60 सेमी. आकार के गड्ढे तैयार किये जाने चाहिए। इसके बाद उनमे बीज या पौधरोपण कर देना चाहिए।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

संतरे की खेती के लिए दोमट बलुई भूमि, जिसका पी.एच. मान 6 से अधिक हो, अच्छी मानी जाती है।

बीज की किस्में

संतरा के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

नागपुरी,किन्नो, खासी, कूर्ग, मुदखेड़, श्रीनगर, बुटवल, डानक्य, कारा (अबोहर), दार्जिलिंग, सुमिथरा और बीजहीन-182 आदि किस्में प्रमुख है।

बीज की जानकारी

संतरा की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 300 से 350 पौधों की आवश्यकता होती है। यदि कम फैलने वाली किस्म है, तो पौधों की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है।

बीज कहाँ से लिया जाये?

संतरा के पौधे किसी विश्वसनीय स्थान या कृषि विज्ञान से  प्राप्त कर सकते है! 

उर्वरक की जानकारी

संतरा की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

संतरे के पौधों में आयु के अनुसार खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए - 1. एक वर्ष के पौधों में - 10 किग्रा गोबर की खाद, 150 ग्राम नाइट्रोजन, 150 ग्राम फॉस्फोरस, 75 ग्राम पोटाश 2.द्वितीय वर्ष में - 20 किग्रा गोबर की खाद, 300 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फॉस्फोरस, 150 ग्राम पोटाश 3.तृतीय वर्ष में - 30 किग्रा गोबर की खाद, 450 ग्राम नाइट्रोजन, 150 ग्राम फॉस्फोरस, 225 ग्राम पोटाश 4.चतुर्थ वर्ष में - 40 किग्रा गोबर की खाद, 600 नाइट्रोजन, 200 ग्राम फॉस्फोरस, 300 ग्राम पोटाश पांच वर्ष व उससे अधिक आयु के वृक्षों में - 50 किग्रा गोबर की खाद, 750 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस, 375 ग्राम पोटाश प्रति पौधा देना चाहिए।

जलवायु और सिंचाई

संतरा की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

संतरा के पौधे लगाने के तुरन्त बाद सिंचाई करें। पौधों की सिंचाई उनके फैलाव के अनुरूप घेरा बनाकर की जा सकती है। गर्मियों में 10-12 दिन के अन्तर पर सर्दियों में 3-4 सप्ताह के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए। बरसात के मौसम में सिंचाई की याद कदा ही आवश्यकता होती है। यदि वर्षा अधिक हो जांवे और पानी खेत में भर जाए तो उसके निकास की उचित व्यवस्था करनी चाहिए।

रोग एवं उपचार

संतरा की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

संतरे का सायला कीट(1) प्रौढ़ एवं अरभक क्षतिकारक अवस्थाये(2) कीट समूह में रहकर नाजुक पत्तियों से तथा फूल कलियों से रस शोषण करते है परिणामतः नई कलियां तथा फलों की गलन होती है।नियंत्रण:-(1) जनवरी-फरवरी, जून-जूलाई  तथा अक्टूबर – नवम्बर में नीम तेल (3-5 मि.ली. / लीटर) या इमिडाक्लोप्रिड अथवा मोनोक्रोटफॉस का छिड़काव करें।पर्ण सुरंगक कीट(1) नर्सरी तथा छोटे पौधों पर अधिक प्रकोप होता है, जिससे वृद्धि रूक जाती है। यह कीट मिलीबग तथा कैंकर रोग के संवाहक है।(2) जीवन क्रम 20 से 60 दिन तथा वर्ष  में 9 से 13 पीढि़यां(3) प्रकोप संपूर्ण वर्ष भर रहता है परंतु जूलाई -अक्टूबर तथा फरवरी-मार्च में अधिक होता है।नियंत्रण:-(1) नर्सरी में कीट ग्रसित पत्तियों को छिड़काव पूर्व तोड़कर नष्ट करें।(2) क्विनालफॉस 25 ई.सी. का 2.0 मि.ली. अथवा फोसोलान 1.5 मि.ली./लीटरनीबू की तितली(1) कीट प्रकोप वर्ष  भर परंतु जूलाई – अगस्त में सर्वाधिक(2) वर्ष में 4-5 पीढि़या(3) इल्लियों की पत्तियां खाने की क्षमता बहुत अधिक होती है।(4) इल्लियों का रंग कत्थई, काला होता है। विकसित इल्ली पर सफेद चित्तीयां होती है जिससे चिडि़यों की बीट के समान प्रतीत होती है।नियंत्रण:-(1) डायपेल (बी.टी.) 0.05 प्रतिशत या सायपरमेथ्रिन 1 मि.ली./लीटर अथवा क्विनालफॉस 25 ई.सी. का 2.0 मि.ली. /लीटर 

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवारों की रोकथाम के लिए 7.5 किग्रा सिमेजीन का 2.5 किलो ग्रामेक्सोन को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों तथा वार्षिक घासें नष्ट हो जाती हैं।

सहायक मशीनें

हैरों या कल्टीवेटर, खुर्पी, कुदाल, फावड़ा।