गेंदा की खेती

गेंदा एक विख्यात पुष्प देने वाला पौधा है। यह अधिकतर फूलों के लिए उद्यानों में लगाया जाता है। इसकी खेती पट्टी, क्यारी तथा गमलों में की जाती है। इसके फूल प्रायः पीले या नारंगी रंग के पाये जाते हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 10 से 80 सेमी तक पाई जाती है। इसके फूलों को हम पूजा, गुलदस्ते, बटन, माला इत्यादि के लिए प्रयोग करते हैं।


गेंदा

गेंदा उगाने वाले क्षेत्र

गेंदा का प्रसारण, बीज एवं कटिंग दोनों विधि से होता है। पौध से पौध एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी - खरीफ (जून से जुलाई) 60 x 45 सेमी, रबी (सितम्बरअक्टूबर) 45 x 45 सेमी और जायद (फरवरी-मार्च) 45 x 30 सेमी

गेंदा की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

मैरीगोल्ड कैलेंडुला में कई शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और विरोधी भड़काऊ यौगिक होते हैं जो संक्रमण से लड़ते हैं, सूजन को कम करते हैं, रक्त प्रवाह में सुधार करते हैं, मांसपेशियों की ऐंठन को कम करते हैं, मुक्त कण क्षति / उम्र बढ़ने के प्रभाव को धीमा करते हैं और बहुत कुछ करते हैं। इनमें फ्लेवोनोइड्स, पॉलीसेकेराइड्स, लिनोलिक एसिड, कैरोटेनॉइड्स और ट्राइटरपेन्स शामिल हैं।

बोने की विधि

गेंदा के पौधों की रोपाई समतल क्यारियों में की जाती है। रोपाई की दूरी गेंदे की किस्म पर निर्भर करती है। अफ्रीकन गेंदे में पौधों की दूरी 30 सेमी एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी रखी जाती है जबकि फ्रांसीसी गेंदे में यह दूरी 30 सेमी रखते हैं। रोपण का कार्य सांयकाल के समय करना चाहिए। नर्सरी से पौधे उखाड़ते समय हल्की सिंचाई कर देने से उखाड़ते समय पौधों की जड़ों को क्षति नहीं पहुँचती है। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करना आवश्यक है।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

गेंदा की खेती के लिए दोमट, मटियार दोमट एवं बलुआर दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करके एवं पाटा लगाकर खेत समतल कर लेना चाहिए।

बीज की किस्में

गेंदा के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

(i) क्लीमेक्स _ इसके पौधे की ऊंचाई 80-90 सेमी. तथा फूल का व्यास 12-15 सेमी. होता है। (ii) गोल्ड हाइब्रिड _ इसके पौधे में फूल शीघ्र आते हैं और पौधों की ऊंचाई 30-35 सेमी. होती है। (iii) म्यूल_ इसके पौधे की ऊंचाई 25-30 सेमी. तथा फूल का व्यास 5 सेमी. तक पाया जाता है।

बीज की जानकारी

गेंदा की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

300-400 ग्राम बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होता है।

बीज कहाँ से लिया जाये?

गेंदा के बीज किसी विश्वसनीय स्थान से ही खरीदना चाहिए।

उर्वरक की जानकारी

गेंदा की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

120-130 किलो नाइट्रोजन, 60-80 किलो फॉस्फोरस एवं 60-80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करना चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा एवं फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत की अन्तिम जुताई के समय मिट्टी में मिला दें। नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा पौध रोपने के 30-40 दिन के अन्दर प्रयोग करना चाहिए।

जलवायु और सिंचाई

गेंदा की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

वर्षा ऋतु में जब वर्षा नही हो तो पौधे लगाने के तुरंत बाद सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। गर्मी में 5-7 तथा सर्दी में 8-10 दिन के अंतर पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

रोग एवं उपचार

गेंदा की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

01. आर्द्र गलन रोग - यह बीमारी नर्सरी में पौध तैयार करते समय आती है। इस बीमारी के प्रकोप से रोगग्रस्त पौधे का तना गलने लगता है और शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। रोगग्रसित पौधों को जड़ सहित उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिये। इस रोग की रोकथाम करने के लिये 0.2% कैप्टान अथवा बाविस्टीन के घोल से ड्रेंचिंग करें। 02.पाउडरी मिलड्यू रोग - इस रोग से ग्रसित पौधे की पत्तियों के ऊपरी एवं निचले भागों में तथा तने पर सफेद पाउडर जमा हो जाता है। ग्रसित पौधों पर चकत्ते दिखाई देने लगते है जिसके फलस्वरूप पौधे की वृद्धि रुक जाती है और पौधा नष्ट होने लगता है। रोगग्रसित पौधों को जड़ सहित उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिये। इस रोग की रोकथाम के लिये एक लीटर घुलनशील सल्फर (सल्फेक्स) अथवा कैरोटीन 40 ई.सी. 150 मि.ली. प्रति हैक्टेयर के हिसाब से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर ग्रसित पौधों पर छिड़काव करना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार पौधों की उपज व गुणवत्ता पर कुप्रभाव डालते हैं। क्योंकि खरपतवार मृदा से नमी व पोषण दोनों ग्रहण करते हैं तथा ये कीड़ों एवं बीमारियों को भी शरण देते हैं। अत: 3-4 बार निकाई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट कर देना चाहिए। खरपतवारों का रसायनिक नियंत्रण भी किया जा सकता है। इसके लिए एनिबेन 10 पौण्ड, प्रोपेक्लोर और डिफेंनमिड़ 10 पौंड प्रति हैक्टेयर सुरक्षित एवं संतोषजनक है।

सहायक मशीनें

मिट्टी पलट हल, देशी हल, या हैरों, खुर्पी, कुदाल, फावड़ा, आदि यंत्रों की आवश्यकता पड़ती है।