गांठ गोभी की खेती

अन्य गोभियों से अदृश गाँठ गोभी अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध नहीं है, परंतु लोग इसके गठीले तने को उगाते हैं तथा यही तना खाने के काम आता है। यह स्वाद में कुछ-कुछ शलजम के समान होती है। इसके कोमल तनों को निकालकर आलू व अन्य सागों के साथ मिलाकर इसका प्रयोग किया जाता है। जर्मनी के लोग इसका प्रयोग सलाद के रूप में भी करते हैं। गांठ गोभी पशुओं को चारे के रूप में खिलाए जाने के लिए भी प्रयोग की जाती है।


गांठ गोभी

गांठ गोभी उगाने वाले क्षेत्र

इसकी खेती बंदगोभी और फूलगोभी की मुकाबले में कम की जाती है. इसकी ज्यादातर खेती कश्मीर, महाराष्ट्र,  बंगाल, आसाम, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब या फिर दक्षिण भारत के कुछ इलाकों में ही की जाती है. इसे पहाड़ी क्षेत्रों की लोकप्रिय सब्जी भी माना जाता है

गांठ गोभी की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

गांठ गोभी में विशेष मनमोहक सुगन्ध सिनीग्रिन ग्लूकोसाइड के कारण होती है। यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए और सी तथा कैल्शियम, फास्फोरस खनिज होते है।

बोने की विधि

जब पौधे 4-5 सप्ताह के हो जाएं, तब उसकी रोपाई कर देनी चाहिए। इसकी पौध की रोपाई करते समय पंक्तियों और पौधों की आपसी दूरी 30 और 20 सेमी रखना चाहिए।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

गांठ गोभी के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है, बालुई दोमट मिट्टी की अपेक्षा मृतिका दोमट मिट्टी में अच्छी उपज होती है। गांठ गोभी लगाने से पहले खेत की 4 से 5 बार जुताई जरूरी है। जुताई के बाद 2 से 3 बार पाटा चलाकर चौरस और ढेले रहित बना लेना चाहिए। 

बीज की किस्में

गांठ गोभी के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

(i) अगेती जातियां - व्हाइट वियना, अर्लीएस्ट व्हाइट। (ii) पछेती जातियां - परपिल वियना, यलोवियना, ग्रीन वियना।

बीज की जानकारी

गांठ गोभी की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

एक हेक्टेयर खेत की रोपाई करने के लिये 1-1.5 किग्रा बीज पर्याप्त होता है।

बीज कहाँ से लिया जाये?

गांठ गोभी का बीज किसी विश्वसनीय स्थान से ही खरीदना चाहिए।

उर्वरक की जानकारी

गांठ गोभी की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

अच्छी व उत्तम उपज के लिए 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। गांठ गोभी के खेत की तैयारी के समय लगभग 100 से 150 क्विंटल गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर भूमि में मिला देनी चाहिए। रोपाई से पूर्व लगभग 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश की मात्रा खेत में डालनी चाहिए तथा खड़ी फसल में रोपाई के 1 महीने बाद 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से टॉप ड्रेसिंग के द्वारा देने के बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए।

जलवायु और सिंचाई

गांठ गोभी की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

गांठ गोभी की प्रथम सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिए बाद में सिंचाई 1 सप्ताह के अंतर पर करनी चाहिए।

रोग एवं उपचार

गांठ गोभी की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

गांठ गोभी में कीट एवं रोगों का प्रकोप काफी कम होता है, कुछ प्रमुख कीट व रोग का नियंत्रण इस प्रकार कर सकते हैं, जैसे- कीट एवं रोकथाम- कैबेज सेमीलूपर- मादा कीट पत्तियों की निचली सतह पर अण्डे देती है, और इससे शिशु निकलकर गांठ गोभी की पत्तियों को काट कर खा जाता है| जिससे पौधा का विकास प्रभावित होता है| रोकथाम- इसके नियंत्रण के लिए नीम सीड कर्नेल एक्सटॅक्ट 1 ग्राम पति लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव लाभदायक पाया गया है| आरा मक्खी- व्यस्क कीट नारंगी रंग का होता है, मादा कीट पत्तियों के किनारे पर अण्डे देती है, जिससे 3 से 5 दिन में शिशु निकल आते हैं| ये बड़ी तेजी से पत्तियों को खाते हैं| जिससे पत्तियों में छेद बन जाते हैं, इसके प्रकोप से पत्तियों में बनने वाला क्लोरोफिल प्रभावित होता है, जिससे पौधों की वृद्धि रूक जाती है| रोकथाम- नियंत्रण के लिए 5 प्रतिशत नीम तेल का छिड़काव करना चाहिए| संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें, साथ ही प्रकोप की अवस्था पर सिंचाई करने पर प्रकोप कम हो जाता हैं| रोग एवं रोकथाम- लीफस्पाट- इसमें पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे बनते हैं, धब्बे अधिक बनने और बढ़ने पर पत्तियाँ झुलस जाती है| रोकथाम- नियंत्रण के लिए बीज क्षेत्र को ट्राईकोडरमा से उपचारित करें तथा बीज को मैंकोजेब- 75 प्रतिशत चूर्ण 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल तैयार कर खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए| डैपिंग ऑफ- इस रोग के कारण बीज का अंकुरण कम हो जाता है| बीज की जड़ और तना सड़ जाते हैं| पौधे के तने का भाग गलने से नवांकुरित पौधे गिर जाते हैं तथा धीरे-धीरे सूख जाते है| रोकथाम- इसके नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत चूर्ण का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल तैयार कर बीज क्षेत्र को उपचारित करना चाहिए| खेत में जल निकास का उचित प्रबंध करें, साथ ही फसल चक्र अपनाना चाहिए|     

खरपतवार नियंत्रण

समय-समय पर निकाई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट कर देना चाहिए। यदि गांठ गोभी सीधे ही खेत में बोई गई है तो पहली निकाई के समय पंक्तियों में फालतू पौधों को इस प्रकार निकालना चाहिए कि आपस की दूरी 20 से 22 सेमी हो जाए। यह काम तब करना चाहिए, जब पौधों में 3 से 4 पत्तियां निकल आएं। गाँठो की वृद्धि के समय उन पर थोड़ी थोड़ी मिट्टी भी चढ़ा देनी चाहिए।

सहायक मशीनें

मिट्टी पलट हल, देशी हल या हैरों, कल्टीवेटर, खुर्पी, कुदाल आदि यंत्रों की आवश्यकता होती है।