लहसुन की खेती

लहसुन एक कंदीय सब्जी है जिसका प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है| सब्ज़ियों में स्वाद वर्धक होने के साथ ही लहसुन में कई औषधीय गुण भी हैं।


लहसुन

लहसुन उगाने वाले क्षेत्र

यह मुख्यतः मध्य प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में उगाया जाता है।

लहसुन की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है, जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड आदि पदार्थ पाये जाते हैं।

बोने की विधि

बुवाई पंक्तियों में 15 * 7-8 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए। पुत्तियाँ गाड़ते समय जड़ वाला भाग नीचे की ओर तथा ऊपरी नुकीला सिरा ऊपर की ओर रखना चाहिए। बुवाई के बाद पुत्तियों को मिट्टी से ढक देना चाहिए। बुवाई करते समय भूमि में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

अच्छी उपज के लिए बलुई दोमट या दोमट भूमि जिसमे जल-निकास का उचित प्रबंध हो तथा जीवांश की मात्रा पर्याप्त हो, सर्वोत्तम मानी जाती है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए तथा हर जुताई के पश्चात पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा कर देना चाहिए।

बीज की किस्में

लहसुन के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

यमुना सफेद 1 (जी-1)यमुना सफेद 1 (जी-1) इसके प्रत्येक शल्क कन्द ठोस तथा बाह्य त्वचा चांदी की तरह सफेद ए कली क्रीम के रंग की होती है। 150-160 दिनों में तैयार हो जाती है पैदावार 150-160 क्विन्टल प्रति हेक्टयर हो जाती है।यमुना सफेद 2 (जी-50)शल्क कन्द ठोस त्वचा सफेद गुदा , क्रीम रंग का होता है। पैदावार 130.140 क्विन्टल प्रति हेक्टयर हो जाती है। फसल 165-170 दिनों में तैयारी हो जाती है। रोगों जैसे बैंगनी धब्बा तथा झुलसा रोग के प्रति सहनशील होती है।

बीज की जानकारी

लहसुन की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

एक हैक्टर बुवाई के लिए छोटी गाँठ वाली किस्मों के 4 से 5 क्विंटल तथा बड़ी गाँठ वाली किस्मों के 6 से 7 क्विंटल बीज (पुत्तियाँ) पर्याप्त हैं।

बीज कहाँ से लिया जाये?

लहसुन का बीज किसी विश्वसनीय स्थान से  खरीदें।

उर्वरक की जानकारी

लहसुन की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

20 टन गोबर की सड़ी हुई खाद बुवाई के 1 माह पूर्व खेत में मिलाना चाहिए। 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फॉस्फोरस व 40 किलोग्राम पोटाश/हैक्टेयर की दर से देना चाहिए।

जलवायु और सिंचाई

लहसुन की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

लहसुन की गांठों के अच्छे विकास के लिए सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतर पर और गर्मियों में 5-7 दिनों के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए।

रोग एवं उपचार

लहसुन की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

आमतौर पर लहसुन की फसल में बैगनी धब्बों का प्रकोप हो जाता है। इसके प्रकोप से पत्तियों पर जामुनी या गहरे भूरे धब्बे बनने लगते हैं। इन धब्बों के ज्यादा फैलाव से पत्तियाँ नीचे गिरने लगती हैं। इस बीमारी का प्रकोप अधिक तापमान और अधिक आद्रता में बढ़ता जाता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 % डब्लूपी  नामक दवा पानी में घोल कर 10-15 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

लहसुन में खरपतवार नियंत्रण - पेंडिमेथालीन  30 % ईसी @ 100 मिली. / 15 लीटर पानी के घोल का उपयोग फसल लगाने के 3 दिनों के बाद लहसुन में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए लाभदायक रहता है। इसके साथ ही फसल लगाने के 25-30 दिनों के बाद और रोपण के 40-45 दिन बाद दो बार हाथ से निडाई करे। चावल का भूरा, घांस या गेंहु पुआल का उपयोग मल्चिंग के रूप में करने से उपज बढ़ाई जा सकती है। ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% ईसी 1 मिलीलीटर / ली.पानी + क्विजलॉफॉप एथाइल 5% ईसी @ 2 मिलीलीटर / लीटर पानी का संयुक्त छिडकाव करने के बाद 20-25 दिन में और 30-35 में करने से खरपतवार का अच्छा नियंत्रण हो सकता है और अधिक उपज मिल सकती है। खरपतवार की रोकथाम हेतु 2 - 3 बार खुरपी से उथली निराई गुड़ाई करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त फ्लूक्लोरालिन का पानी में घोल बना कर बिजाई से पहले छिड़काव करना चाहिए।

सहायक मशीनें

मिट्टी पलट हल, देशी हल, हैरों, खुर्पी, फावड़ा,आदि यंत्रो की आवश्यकता होती है।