ड्रैगन फ्रूट की खेती

ड्रैगन फ्रूट देखने में आकर्षक और लुभावना होता है। ड्रैगन फ्रूट को पिताया भी कहा जाता है।भारत में इसकी खेती की शुरुआत हाल के वर्षों में ही हुई है और अब यह लोकप्रियता हासिल करता जा रहा है। इसका इस्तेमाल जैम, जैली, आइसक्रीम, जूस तथा मिल्क शेक बनाने में किया जाता है। इसकी खेती 50 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है, जबकि 20-30 डिग्री तापमान इसकी खेती के लिए उपयुक्त होता है। इसके पौधे से 18 माह में फल प्राप्त होते हैं। अतः इस फसल के साथ गेहूँ, धान, दलहनी, तिलहनी तथा सब्जी को उगाकर अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।


ड्रैगन फ्रूट

ड्रैगन फ्रूट उगाने वाले क्षेत्र

भारत में इसकी खेती महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु में की जाती है। इसकी खेती तटीय इलाकों में की जाती है।

ड्रैगन फ्रूट की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है। ड्रैगन फ्रूट के लाभों में एंटी-एजिंग, इम्यून सिस्टम बूस्टिंग और रक्त शर्करा नियंत्रित करने की क्षमता शामिल है जो मधुमेह रोगियों के लिए इसे उपयोगी बनाता है।

बोने की विधि

सबसे पहले गड्ढे खोदकर कंकरीट के बने विशेष प्रकार के खंभे गाड़े जाते हैं। खंभे के ऊपरी हिस्से में रॉड की सहायता से लोहे के रिंग या टायर लगा दिए जाते हैं। दो खंभों के बीच की दूरी 2 मीटर यानी करीब 5 हाथ होनी चाहिए। उसके बाद मिट्टी चढ़ाकर 4 पौधे रोप दिए जाते हैं।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

ड्रैगन फ्रूट को रेतीली दोमट भूमि से लेकर दोमट भूमि तक अलग - अलग मृदाओं में उगाया जा सकता है। हालांकि, बेहतर जीवाश्म तथा जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसका पी.एच. मान 5.5 से 7 हो, उपयुक्त रहती है। खेत को 2 - 3 बार हैरो या कल्टीवेटर से जोत कर पाटा लगा देना चाहिए जिससे खेत समतल हो जाए।

बीज की किस्में

ड्रैगन फ्रूट के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

आमतौर पर ड्रैगन फ्रूट तीन प्रकार के होते हैं- 1. सफेद रंग के गूदे वाला लाल फल 2.लाल रंग के गूदे वाला लाल फल 3. सफेद रंग के गूदे वाला पीला फल

बीज की जानकारी

ड्रैगन फ्रूट की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

एक हैक्टेयर क्षेत्र में 4200 - 4500 पौध की आवश्यकता होती है।

बीज कहाँ से लिया जाये?

 ड्रैगन के बीज किसी विश्वसनीय स्थान से खरीदना चाहिए।

उर्वरक की जानकारी

ड्रैगन फ्रूट की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

ड्रेगेन फ्रूट के पौधों की वृद्धि के लिए जिवाश्म तत्व प्रमुख भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक पौधे के सटिक वृद्धि के लिए 10 से 15 किलो जैविक कंपोस्ट/जैविक उर्वरक दिया जाना चाहिए। इसके बाद प्रत्येक साल दो किलो जैविक खाद की मात्रा बढ़ाई जानी चाहिए। इस फसल को समुचित विकास के लिए रासायनिक खाद की भी जरूरत पड़ती है। वानस्पतिक अवस्था में इसको लगने वाली रासायनिक खाद का अनुपात पोटाश:सुपर फास्फेट:यूरिया = 40:90:70 ग्राम प्रति पौधे होता है। जब पौधों में फल लगने का समय हो जाए तब कम मात्रा में नाइट्रोजन और अधिक मात्रा में पोटाश दिया जाना चाहिए ताकि उपज बेहतर हो। फूल आने से लेकर फल आने तक यानि की फुल आने के ठीक पहले (अप्रेल), फल आने के समय( जुलाई – अगस्त) और फल को तोड़ने के दौरान ( दिसंबर) तक में इस अनुपात में रासायनिक खाद दिया जाना चाहिए : यूरिया:सुपर फास्फेट:पोटाश =50ग्राम:50 ग्राम:100 ग्राम प्रति पौधे। रासायनिक खाद प्रत्येक साल 220 ग्राम बढ़ाया जाना चाहिए जिसे बढ़ाकर 1.5 किलो तक किया जा सकता है। 

जलवायु और सिंचाई

ड्रैगन फ्रूट की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

रोपाई के समय ही पौधों को हल्का पानी दे दिया जाता है। फिर टपक सिंचाई पद्धति से इसमें आवश्यकतानुसार समय समय पर सिंचाई की जाती है।

रोग एवं उपचार

ड्रैगन फ्रूट की खेती में किन चीजों से बचाव करना होता है?

ड्रेगेन फ्रूट के खेती की खासियत ये है कि इसके पौधों में अब तक किसी तरह के कीट लगने या पौधों में किसी तरह की बीमारी होने का मामला सामने नहीं आया है। ड्रेगेन फ्रूट के पौधे एक साल में ही फल देने लगते हैं। पौधों में मई से जून के महीने में फूल लगते हैं और अगस्त से दिसंबर तक फल आते हैं 

खरपतवार नियंत्रण

निराई-गुड़ाई कर खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए।

सहायक मशीनें

हैरों या कल्टीवेटर, खुर्पी, कुदाल, फावड़ा।