सीताफल(शरीफा) की खेती

सीताफल एक बहुत ही मीठा फल है। सीताफल में काफी मात्रा में कैलोरी पाई जाती है। विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है। इसके सेवन से रोगी व्यक्ति स्वास्थ रहता है। इसके बीज, पत्ते, छाल सभी को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।


सीताफल(शरीफा)

सीताफल(शरीफा) उगाने वाले क्षेत्र

यह भारत में सभी जगहों में पाया जाता है। विशेष रूप से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश आंध्र प्रदेश में ये ज्यादा देखे जा सकते हैं।

सीताफल(शरीफा) की स्वास्थ्य एवं पौष्टिक गुणवत्ता

सीताफल के गुणों में विटामिन सी के साथ-साथ, मैंगनीज, आयरन, मैगनीशियम, फ़ॉस्फ़ोरस, पोटैशियम और बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, और बी9 विटामिनों के होने से यह इन सबका एक बेहतरीन स्रोत है। पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, सोडियम और ज़िंक के साथ इसमें फ़ाइबर, फ़ैट और प्रोटीन भी पाया जाता है।

बोने की विधि

बरसात पूर्व 44 मीटर की दूरी पर 60 सेमी चौड़े और 80 सेमी गहरे गड्ढे खोद लिये जाते हैं। गड्ढों से निकली हुई मिट्टी में सड़ी हुई गोबर की खाद और प्रति गड्ढा 100 ग्राम D.A.P. मिला कर एक दो अच्छी बरसात हो जाने के बाद पौधों को गड्ढों में रोप दिया जाना चाहिए।

खेत की जुताई व मिट्टी की तैयारी

सीताफल (शरीफा) की खेती मुख्यतः उन सभी भूमियों में की जा सकती है जिनमे जल निकास की उचित व्यवस्था हो।

बीज की किस्में

सीताफल(शरीफा) के लिए कौन कौन सी किस्मों के बीज आते हैं ?

(i) बाला नगर - झारखंड क्षेत्र के लिए यह एक उपयुक्त किस्म है। इसके फल हल्के हरे रंग के होते हैं। (ii)अर्का सहन - यह एक संकर किस्म है, जिसके फल अपेक्षाकृत चिकने और अधिक मीठे होते हैं। (iii) लाल शरीफा - यह एक ऐसी किस्म है जिसके फल लाल रंग के होते हैं तथा औसतन प्रति पेड़ प्रति वर्ष लगभग 40-50 फल आते हैं। बीज द्वारा उगाये जाने पर भी काफी हद तक इस किस्म की शुद्धता बनी रहती है।

बीज की जानकारी

सीताफल(शरीफा) की फसल में बीज की कितनी आवश्यकता होती है ?

450 पौध एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त रहते हैं।

बीज कहाँ से लिया जाये?

सीताफल के पौध किसी नर्सरी या कृषि विज्ञान केंद्र से प्राप्त कर सकते है! 

उर्वरक की जानकारी

सीताफल(शरीफा) की खेती में उर्वरक की कितनी आवश्यकता होती है ?

सीताफल के पेड़ में प्रत्येक वर्ष फलन होती है अत: अच्छी पैदावार के लिये उचित मात्रा में सड़ी हुई गोबर की खाद एवं रासायनिक उर्वरक देनी चाहिये। शरीफे की पूर्ण विकसित पेड़ में 20 कि.ग्रा. गोबर की खाद, 40 ग्रा. नाइट्रोजन, 60 ग्रा. फास्फोरस और 60 ग्रा. पोटाश प्रति पेड़ प्रति वर्ष देना चाहिए।

जलवायु और सिंचाई

सीताफल(शरीफा) की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है ?

खेत में नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। गर्मी में 8-10 दिन के अन्तराल से तथा शरद ऋतु में 15-25 दिन के अन्तराल से सिंचाई करते रहना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण हेतु समय-समय पर निकाई-गुड़ाई करते रहना चाहिए। खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए।

सहायक मशीनें

हैरों या कल्टीवेटर, खुर्पी, कुदाल, फावड़ा।